शेयर बाजार की पारिभाषिक शब्दावली - शेयरहोल्डिंग पैटर्न

शेयरहोल्डिंग पैटर्न : यह शब्द निवेशकों में अधिक लोकप्रिय नहीं है परंतु इसका महत्व काफी है। प्रत्येक कंपनी का शेयरहोल्डिंग पैटर्न होता है। इसका अर्थ यह है कि उक्त कंपनी की शेयरपूंजी में किस-किस वर्ग के कितने शेयर हैं, इसकी जानकारी शेयर पैटर्न कहलाती है तथा इसके आधार पर कंपनी का मूल्यांकन भी किया जा सकता है। किसी भी कंपनी में अलग-अलग शेयरधारक होते हैं, जिसमें कंपनी के प्रमोटरों के अलावा सार्वजनिक जनता, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई), म्युच्युअल फंड, घरेलू संस्थागत निवेशक (जिसमें बीमा कंपनियों, बैंकों आदि का समावेश होता है), एनआरआई (अनिवासी भारतीय) आदि। सामान्यतः जिस कंपनी में प्रमोटरों की शेयरधारिता अधिक होती है उसे मजबूत कंपनी माना जाता है इसका कारण यह है कि कंपनी के प्रमोटरों का हिस्सा अधिक होने पर वे उसके विकास के लिए अधिक सक्रिय एवं गंभीर रहते हैं, ऐसा माना जाता है। जिस कंपनी की शेयरधारिता में जनता का हिस्सा कम होता है बाजार में उनके शेयर कम रहते हैं, जिससे बाजार में उसकी मांग बढ़ने पर भाव ऊंचे रहने या बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। इसी प्रकार एफआईआई, वित्तीय संस्थाओं और म्युच्युअल फंड की शेयरधारिता अधिक होने वाली कंपनियों को भी अच्छा माना जाता है क्योंकि उन कंपनियों में फंडामेंटल मजबूती के आधार पर ही तो इन वित्त विशेषज्ञों ने इनमें निवेश किया होगा, ऐसा माना जा सकता है। इस प्रकार कंपनी के शेयरहोल्डिंग पैटर्न को देखकर उस कंपनी की सेहत का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। प्रत्येक कंपनी की स्वयं की वेबसाइट या शेयरबाजार की वेबसाइट पर प्रत्येक कंपनी का शेयरहोल्डिंग पैटर्न उपलब्ध है। निवेशक निवेश करने से पहले संबंधित कंपनी के शेयरहोल्डिंग पैटर्न को देख लें, ऐसी सलाह दी जाती है।