भृ (पालना–पोसना‚ भरना) – आत्मनेपदी – उभयपदी
लट् लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | भरते | भरेते | भरन्ते |
मध्यमपुरुष: | भरसे | भरेसे | भरध्वे |
उत्तमपुरुष: | भरे | भरावहे | भरामहे |
लृट् लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | भरिष्यते | भरिष्येते | भरिष्यन्ते |
मध्यमपुरुष: | भरिष्यसे | भरिष्येथे | भरिष्यध्वे |
उत्तमपुरुष: | भरिष्ये | भरिष्यावहे | भरिष्यामहे |
लड्. लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | अभरत | अभरेताम् | अभरन्त |
मध्यमपुरुष: | अभरथाः | अभरेथाम् | अभरध्वम् |
उत्तमपुरुष: | अभरे | अभरावहि | अभरामहि |
लोट् लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | भरताम् | भरेताम् | भरन्ताम् |
मध्यमपुरुष: | भरस्व | भरेथाम् | भरध्वम् |
उत्तमपुरुष: | भरै | भरावहै | भरामहै |
विधिलिड्. लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | भरेत | भरेयाताम् | भरेरन् |
मध्यमपुरुष: | भरेथाः | भरेयाथाम् | भरेध्वम् |
उत्तमपुरुष: | भरेय | भरेवहि | भरेमहि |
आशीर्लिड्. लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | भृषीष्ट | भृषीयास्ताम् | भृषीरन् |
मध्यमपुरुष: | भृषीष्ठाः | भृषीयास्थाम् | भृषीध्वम् |
उत्तमपुरुष: | भृषीय | भृषीवहि | भृषीमहि |
लिट् लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | बभ्रे | बभ्राते | बभ्रिरे |
मध्यमपुरुष: | बभृषे | बभ्राथे | बभृध्वे |
उत्तमपुरुष: | बभ्रे | बभृवहे | बभृमहे |
लुट् लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | भर्ता | भर्तारौ | भर्तारः |
मध्यमपुरुष: | भर्तासे | भर्तासाथे | भर्ताध्वे |
उत्तमपुरुष: | भर्ताहे | भर्तास्वहे | भर्तास्महे |
लुड्. लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | अभृत | अभृषाताम् | अभृषत |
मध्यमपुरुष: | अभृथाः | अभृषाथाम् | अभृध्वम् |
उत्तमपुरुष: | अभृषि | अभृष्वहि | अभृष्महि |
लृड्. लकार:
एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् | |
प्रथमपुरुष: | अभरिष्यत | अभरिष्येताम् | अभरिष्यन्त |
मध्यमपुरुष: | अभरिष्यथाः | अभरिष्येथाम् | अभरिष्यध्वम् |
उत्तमपुरुष: | अभरिष्ये | अभरिष्यावहि | अभरिष्यामहि |
इति