हलन्तनपुंसकलिङ्गप्रकरणम्

 अथ हलन्तनपुंसकलिङ्गाः


स्वमोर्लुक्। दत्वम्। स्वनडुत्, स्वनडुद्। स्वनडुही। चतुरनडुहोरित्याम्। स्वनड्वांहि। पुनस्तद्वत्। शेषं पुंवत्॥ वाः। वारी। वारि। वार्भ्याम्॥ चत्वारि॥ किम्। के। कानि॥ इदम्। इमे। इमानि॥ (अन्वादेशे नपुंसके वा एनद्वक्तव्यः)। एनत्। एने। एनानि। एनेन। एनयोः॥ अहः। विभाषा ङिश्योः। अह्नी, अहनी। अहानि॥

अहन्॥ लसक_३६५ = पा_८,२.८६॥
अहन्नित्यस्य रुः पदान्ते। अहोभ्याम्॥ दण्डि। दण्डिनी। दण्डीनि। दण्डिना। दण्डिभ्याम्॥ सुपथि। टेर्लोपः। सुपथी। सुपन्थानि॥ ऊर्क, ऊर्ग। ऊर्जी। ऊन्र्जि। नरजानां संयोगः। तत्। ते। तानि॥ यत्। ये। यानि॥ एतत्। एते। एतानि॥ गवाक्, गवाग्। गोची। गवाञ्चि। पुनस्तद्वत्। गोचा। गवाग्भ्याम्॥ शकृत्। शकृती। शकृन्ति॥ ददत्

वा नपुंसकस्य॥ लसक_३६६ = पा_७,१.७९॥
अभ्यस्तात्परो यः शता तदन्तस्य क्लीबस्य वा नुम् सर्वनामस्थाने। ददन्ति, ददति॥ तुदत्

आच्छीनद्ययोर्नुम्॥ लसक_३६७ = पा_७,१.८०॥
अवर्णान्तादङ्गात्परो यः शतुरवयस्तदन्तस्य नुम् वा शीनद्योः। तुदन्ती, तुदती। तुदन्ति॥

शप्श्यनोर्नित्यम्॥ लसक_३६८ = पा_७,१.८१॥
शप्श्यनोरात्परो यः शतुरवयवस्तदन्तस्य नित्यं नुम् शीनद्योः। पचन्ती। पचन्ति। दीव्यत्। दीव्यन्ती। दीव्यन्ति॥ धनुः। धनुषी। सान्तेति दीर्घः। नुम्विसर्जनीयेति षः। धनुषि। धनुषा। धनुर्भ्याम्। एवं चक्षुर्हविरादयः॥ पयः। पयसी। पयांसि। पयसा। पयाभ्याम्॥ सुपुम्। सुपुंसी। सुपुमांसि॥ अदः। विभक्तिकार्यम्। उत्वमत्वे। अमू। अमूनि। शेषं पुंवत्॥ ,

इति हलन्तनपुंसकलिङ्गाः।