इतिहास और भूगोल

हरियाणा के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र (उत्तर वैदिक युग, लगभग 800-500 ई.पू. का मध्यमा देश, यानी मध्य क्षेत्र) हिन्दू धर्म का जन्म स्थल माना जाता है। यह उस क्षेत्र में है, जहाँ आर्यों का पहला स्तोत्र गाया गया था और सर्वाधिक प्राचीन पांडुलिपियाँ लिखी गई थीं। दक्षिणी पंजाब में रोहतक-गुड़गाँव का पर्वतीय प्रदेश, जिसमें मूलतः दिल्ली भी शामिल है। अब इस नाम का एक नया राज्य बन गया है। 1327 के एक अभिलेख में 'ढिल्लीका' या 'दिल्ली' को हरियाणा के अन्तर्गत बताया गया है-


'देशोस्ति हरियानाख्यः पृथिव्यां स्वर्गसन्निमः, ढिल्लिकापुरी यत्र तोमरै-रस्ति निर्मिता।'

कुछ विद्धानों के मत में 'हरयाणा' या 'हरियाना' शब्द, 'अहीराना' का अपभ्रंश है। इस प्रदेश में प्राचीन काल से अच्छी चरगाह भूमि होने के कारण अहीरों या अभीर जाति के लोगों का निवास रहा है। हरियाणा का प्राचीन इतिहास बहुत गौरवपूर्ण है। यह वैदिक काल से प्रारंभ होता है। यह राज्य पौराणिक 'भरत वंश' की जन्मभूमि माना जाता है, जिसके नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा। महाकाव्य महाभारत में हरियाणा का ज़िक्र हुआ है। कौरवों और पांडवों की युद्धभूमि कुरुक्षेत्र हरियाणा में है। मुस्लिमों के आगमन और दिल्ली के भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में हरियाणा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। बाद में हरियाणा दिल्ली का ही एक भाग बन गया और 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक यह अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रहा।
ऐतिहासिक युद्ध भूमि

ऐतिहासिक युद्ध भूमि के रूप में हरियाणा को जाना जाता है। पश्चिमोत्तर और मध्य एशियाई क्षेत्रों से हुई घुसपैठों के रास्तें में पड़ने वाले हरियाणा को सिकंदर महान (326 ई.पू.) के समय से अनेक सेनाओं के हमलों का सामना करना पड़ा। यह भारतीय इतिहास की अनेक निर्णायक लड़ाईयों का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। इनमें प्रमुख हैं-

    पानीपत की लड़ाइयाँ - 1526 में जब मुग़ल बादशाह बाबर ने इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली।
    1556 में जब अफ़ग़ान सेना मुग़ल शहंशाह अकबर की सेना से पराजित हुई।
    1739 में करनाल की लड़ाई - जब फ़ारस के नादिरशाह ने ध्वस्त होते मुग़ल साम्राज्य को ज़ोरदार शिकस्त दी।
    1761 में जब अहमदशाह अब्दाली ने मराठा सेना को निर्णायक शिकस्त देकर भारत में ब्रिटिश हुकूमत का रास्ता साफ़ कर दिया।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में हरियाणा के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- चौधरी देवी लाल · अरुणा आसफ़ अली · बंसीलाल · सुचेता कृपलानी ·
पूर्ण राज्य का दर्जा

हरियाणा राज्य की स्थापना 1 नवम्बर, 1966 को हुई थी। इसलिये हरियाणा का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष '1 नवंबर' को मनाया जाता है। सन् 1857 का विद्रोह दबाने के बाद ब्रिटिश शासन के पुन: स्थापित होने पर अंग्रेज़ों ने झज्जर और बहादुरगढ़ के नवाब, बल्लभगढ़ के राजा और रेवाड़ी के राव तुलाराम के क्षेत्र या तो ब्रिटिश शासन में मिला लिए या अंग्रेज़ों ने पटियाला, नाभ और जींद के शासकों को सौंप दिये और इस प्रकार हरियाणा पंजाब प्रांत का भाग बन गया। 1 नवंबर, 1966 को पंजाब प्रांत के पुनर्गठन के पश्चात हरियाणा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
पानीपत युद्ध

वर्तमान हरियाणा राज्य में आने वाला क्षेत्र 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था। 1832 में यह तत्कालीन पश्चिमोत्तर प्रांत को हस्तांतरित कर दिया गया और 1858 में यह क्षेत्र पंजाब का हिस्सा बन गया। 1947 में भारत के विभाजन के बाद तक इसकी यही स्थिती बनी रही, हालांकि अलग हरियाणा राज्य की मांग 1907 में भारत की आज़ादी के काफ़ी पहले से ही उठने लगी थी। 'भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन' के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय और आसफ़ अली ने पृथक हरियाणा राज्य का समर्थन किया था। स्वतंत्रता के पूर्व एवं बाद में पंजाब का एक हिस्सा होने के बावजूद इसे विशिष्ट सांस्कृतिक और भाषाई इकाई माना जाता था, हालांकि सामाजिक-आर्थिक रूप से यह पिछड़ा क्षेत्र था। वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में बनी 'हरियाणा विकास समिति' ने एक स्वायत्त राज्य की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित किया था। 1960 के दशक की शुरुआत में उत्तरी पंजाब के पंजाबी भाषा सिक्खों और दक्षिण में हरियाणा क्षेत्र के हिन्दीभाषी हिंदुओं द्वारा भाषाई आधार पर राज्यों की स्थापना की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी, लेकिन सिक्खों द्वारा पंजाबी भाषी राज्य की ज़ोरदार मांग के करण ही इस मुद्दे को बल मिला। 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के पारित होने के साथ ही पंजाब के साथ-साथ हरियाणा भी भारत का एक पृथक राज्य बन गया। सामाजिक और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से छोटे से राज्यों के गठन का प्रयोग सफल साबित हुआ है, बशर्ते उन्हें सबल और योग्य नेतृत्व मिले, जैसा कि इन दो राज्यों ने सिद्ध किया है।
भू-आकृति

हरियाणा में दो बड़े भू-क्षेत्र है, राज्य का एक बड़ा हिस्सा समतल जलोढ़ मैदानों से युक्त है और पूर्वोत्तर में तीखे ढ़ाल वाली शिवालिया पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है। समुद्र की सतह 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है, यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है। शिवालिक पहाड़ियों से निकली अनेक मौसमी नदियां मैदानी भागों से गुज़रती है। इनमें सबसे प्रमुख घग्घर (राज्य की उत्तरी सीमा के निकट) नदी है। ऐसा माना जाता है कि कभी यह नदी सिंधु नदी में मिलती थी, जो अब पाकिस्तान में है। इस नदी के निचले क्षेत्र में आर्य-पूर्व सभ्यता के अवशेस मिलते हैं। इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुड़गांव ज़िलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत शृंखला के भी अवशेष मिलते हैं।
 
हरियाणा के अधिकांश क्षेत्र में शुष्क और अर्द्ध शुष्क परिस्थितियां हैं। केवल पुर्वोतर में थोड़ी आर्द्रता पाईन जाती है। यद्यपि राज्य में नहर सिंचाई प्रणाली और बड़े पैमाने पर नलकूप हैं। इसके बावजूद यहाँ कुछ अत्यधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र हैं, ख़ासकर दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में, तथापि यमुना व घग्घर नदी की सहायक नदीयों में कभी-कभी बाढ़ भी जाती है। गर्मियों में ख़ुब गर्मी पड़ती है और सर्दियों में ख़ूब सर्दी। गर्मियों में (मई-जून) अधिकतम तापमान 46 डिग्री से। तक पहुंच जाता है। जनवरी में कभी-कभी न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है। राज्य के हिसार शहर में सबसे ज़्यादा गर्मी पड़ती है।

पूर्वोतर में पहाड़ के तलहटी वाले क्षेत्र को छोड़कर पूरे राज्य में मिट्टी गहरी व उर्वर है और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के मरुस्थल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में ज़मीन रेतीलि है। राज्य के कुल क्षेत्र के 4/5 भाग में खेती होती है और इसमें से लगभग तीन-चौथाई क्षेत्र सिंचित है। यद्यपि राज्य के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भागों में सिंचाई नलकूपों के ज़रिये होती है, वहीं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में अधिकांश सिंचाई नहर के ज़रिये होती है। राज्य में वन क्षेत्र नगण्य हैं। राजमार्गों के किनारे और ऊसर ज़मीनों पर यूकलिप्टस के पेड़ उगाए गए हैं। राज्य के उत्तरी भागों में सड़क किनारे आमतौर पर शीशम (डालबर्गिया सिस्सू) के पेड़ पाए जाते हैं, जबकी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा में कीकर (अकेशिया अरेबिका) के पेड़ व झाड़ियां आमतौर पर मिलती हैं।