हल्दी की खेती
हल्दी मसाले वाली फसलो में बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसकी खेती भारतवर्ष में सबसे अधिक की जाती हैI मुख्यरूप से इसकी खेती आँध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल एवं कर्नाटक में अधिक की जाती हैI
जलवायु एवं भूमि
हल्दी की खेती के लिए जलवायु एवं भूमि किस प्रकार की होनी चाहिए?
हल्दी के लिए गर्म व तर जलवायु की आवश्यकता पड़ती है, यह बरसात की फसल है इसके लिए 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त होता हैI हल्दी की खेती के लिए बलुई दोमट एवं मटियार दोमट भूमि उपयुक्त होती है, जिसमे जल निकास होना अति आवश्यक हैI इसकी खेती सामान्य पी.एच. वाली भूमि में अच्छी तरह से की जा सकती हैI
हल्दी की उन्नतशील प्रजातियां कौन-कौन सी होती है?
हल्दी की प्रजातियां पाई जाती है जैसे कि सी.ओ.1, कृषणा, रोमा, रंगा, रश्मि,स्वर्ण, सुदर्शन, सुगंधम, पंत पीतम, सुरोमा, बी. एस. आर1, प्रभा, प्रतिभा, कान्ती, राजेंद्र, सोनिया, शोभा, सुगना, आजाद हल्दी1 एवं सुवर्णा आदि प्रजातियां हैI
खेत की तैयारी
हल्दी की खेती हेतु खेत किस प्रकार से तैयार करे?
खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करते है तथा दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके खेत को समतल करते हुए भुरभुरा बना लेते हैI इसके पश्चात 15 सेंटीमीटर ऊंची मेंडे बना लेना चाहिए मेंड़ो की चौड़ाई 1 से 1.2 मीटर रखते हैI दो मेंड़ो के बीच की दूरी 40 सेंटीमीटर रखते है जिससे पानी आदि निकालने में सुविधा रहेI मेंड़ो की लम्बाई सुविधानुसार रखते है इसके पश्चात नमी होने पर इन्ही मेंड़ो पर बुवाई की जाती हैI
हल्दी की बुवाई में बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है तथा बीज शोधन किस प्रकार से हमे करना चाहिए?
बीज की मात्रा कंद के वजन के अनुसार घटती बढती है इसकी रोपाई हेतु 2500 किलोग्राम कंद की मात्रा प्रति हेक्टेयर रोपाई में लगती हैI कांडो का शोधन 0.25 प्रतिशत एगलाल के घोल से 30 मिनट घोल में डुबाकर रखना चाहिए इसके पश्चात निकालकर छाया में सुखाकर बुवाई बुवाई करनी चाहिएI
हल्दी की बुवाई किस समय करनी चाहिए तथा बुवाई में कौन सी विधियां अपनानी चाहिए?
खेत तैयारी के पश्चात बनाई गयी मेंड़ों पर सिंचाई करके नमी होने पर लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर तथा कंद से कंद की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखते हुए 5 से 7 सेंटीमीटर की गहराई पाए बुवाई करनी चाहिएI बुवाई का सबसे उपयुक्त समय अप्रैल से मई तक होता हैI बुवाई के समय पर्याप्त नमी रहना अति आवश्यक हैI अप्रैल - मई में बुवाई करने पर वर्षा से नुकसान से बचाया जा सकता हैI
हल्दी की खेती में मल्चिंग कब और कैसे तथा किससे करनी चाहिए?
हल्दी की बुवाई के बाद फसल में नमी पर्याप्त रखने हेतु मल्चिंग की जाती है जिससे कि जमाव अच्छा हो सकेI मल्चिंग पौधों की हरी पत्तियो, पुवाल, भूसे एवं ढाक की पत्तियो से की जाती हैI मल्चिंग में लगभग 12500 से 15000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हरी पत्तियो की मात्रा लगती हैI भली भांति जमाव हो जानी के बाद सभी मल्चिंग के सामान को हटा दिया जाता हैI
पोषण प्रबंधन
हल्दी की खेती में खाद एवं उर्वरको की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है और इसका प्रयोग हमें कब करना चाहिए?
खेत की तैयारी करते समय 400 कुंतल सड़ी गोबर की खाद अच्छी तरह से खेत में मिला देना चाहिएI इसके साथ ही 60 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 120 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में देते हैI फास्फोरस की आधी मात्रा तथा पोटाश की पूरी मात्रा बेसल ड्रेसिंग में खेत की तैयारी के समय देते है तथा नत्रजन की 1/2 मात्रा बुवाई के 45 दिन बाद तथा आधी मात्रा नत्रजन की 1/2 भाग फास्फोरस की मात्रा के साथ बुवाई के तीन माह बाद देना चाहिएI
जल प्रबंधन
हल्दी की में सिंचाई कब और कैसे करनी चाहिए?
हल्दी में वर्षा होने पर अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती हैI वर्षा के पानी के अलावा तीन चार सिचाइयो की आवश्कता पड़ती हैI जब फसल पक जावे अर्थात पत्तियां पीली होकर मुड़ने लगे तो सिंचाई रोक देनी चाहिएI
खरपतवार प्रबंधन
हल्दी की फसल में निराई-गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाना कब और कैसे करना चाहिए?
हल्दी का अधिक उत्पादन प्राप्त करने हेतु समय-समय पर निराई-गुड़ाई करके खेत को साफ़ रखना चाहिएI तीन-चार निराई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती हैI गुड़ाई करते समय पौधों पर दो बार मिटटी चढ़ानी चाहिए जिससे कंद अधिक से अधिक बन सकेI
रोग प्रबंधन
हल्दी में कौन-कौन से रोग लगते है तथा उनका नियंत्रण हमें कैसे करना चाहिए?
हल्दी में कंद विगलन रोग लगता है इसके साथ ही पर्ण चित्ती रोग भी लगता हैI इनकी रोकथाम हेतु रोग रहित प्रकंद बोने चाहिए तथा कंदो का शोधन करके बुवाई करनी चाहिएI खड़ी फसल में कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी या कापर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर या मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिएI
कीट प्रबंधन
हल्दी में कौन-कौन से कीट लगते है तथा उनका नियंत्रण हमें कैसे करना चाहिए?
हल्दी के कंदो में प्रकंद बेधक कीट लगता है इसके प्रकोप से कंदो में गलन एवं सड़न पैदा हो जाती हैI इसको रोकने हेतु भूमि में बुवाई के समय मैलाथियान या क्लोरोपायरीफास का प्रयोग करना चाहिएI खड़ी फसल में मैलाथियान 50 ई.सी. को 250 मिलीलीटर प्रति 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए या कार्बराइल धूल को 200 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी में घोलकर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिएI
फसल कटाई
हल्दी की फसल की खुदाई कब तथा कैसे करनी चाहिए ?
हल्दी की फसल 8-9 महीने में पककर तैयार होती हैI फसल की पत्तियाँ पीली होकर जमीन पर गिर पडती हैI जब जमीन अच्छी तरह से सूख जावे तभी खुदाई करानी चाहिएI
हल्दी की फसल की खुदाई के बाद पैदावार कितनी प्रति हेक्टेयर होती है?
पूर्णरूप से पकी हुई फसल की खुदाई करने पर 200 से 250 कुंतल कच्ची हल्दी की पैदावार प्राप्त होती हैI