मूंग की खेती


परिचय

दलहनी फसलो मेंमूंग की बहुमुखीभूमिका है, इसमेप्रोटीन अधिक मात्रामें पाई जातीहै, जो कीस्वास्थ के लिएअत्यधिक महत्वपूर्ण है। मूंगकी फसल सेफलियों की तुडाईकरने के बादखेत में मिटटीपलटने वाले हलसे फसल कोपलटकर मिटटी मेंदबा देने सेहरी खाद काकाम करती है, मूंग की खेतीपूरे उत्तर प्रदेशमें लगभग कीजाती है।

जलवायु और भूमि

मूंग की खेतीके लिए किसप्रकार की जलवायुऔर भूमि काहोना आवश्यकता होताहै?
मूंग की खेतीखरीफ एवं जायददोनों मौसम मेंकी जा सकतीहै। फसल पकतेसमय शुष्क जलवायुकी आवश्यकता पड़तीहै। खेती हेतुसमुचित जल निकासवाली दोमट तथाबलुई दोमट भूमिसबसे उपयुक्त मानीजाती है, लेकिनजायद में मूंगकी खेती मेंअधिक सिचाई करनेकी आवश्यकता होतीहै।

प्रजातियाँ

किस प्रकार की उन्नतशीलप्रजातियों का प्रयोगहम अपनी खेतीमें करें?
मुख्य रूप सेदो प्रकार कीउन्नतशील प्रजातियाँ पाई जातीहै। पहला खरीफमें उत्पादन हेतुटाइप४४, पन्त मूंग१, पन्त मूंग२, पन्तमूंग३,नरेन्द्र मूंग ,मालवीय ज्योति, मालवीय जनचेतना, मालवीय जनप्रिया, सम्राट, मालवीय जाग्रति, मेहा, आशा, मालवीय जनकल्यानीयह प्रजातियाँ खरीफउत्पादन हेतु है।इसी प्रकार जायदमें उत्पादन हेतुपन्त मूंग२, नरेन्द्रमूंग१, मालवीय जाग्रति, सम्राटमूंग, जनप्रिया, मेहा, मालवीय ज्योति प्रजातियाँ जायदके लिए उपयुक्तपाई जाती है।कुछ प्रजातियाँ ऐसीहै जो खरीफऔर जायद दोनोंमें उत्पादन देतीहै जैसे कीपन्त मूंग , नरेन्द्र मूंग , मालवीय ज्योति, सम्राट, मेहा, मालवीय जाग्रति यह प्रजातियाँदोनों मौसम मेंउगाई जा सकतीहै

खेत की तैयारी

फसल करने सेपहले किस प्रकारसे खेत कीतैयारी करनी चाहिए?
खेत की पहलीजुताई हैरो यामिटटी पलटने वालेहल से करनीचाहिए तत्पश्चातदो-तीन जुताईकल्टीवेटर से करकेखेत को अच्छीतरह भुरभुरा बनालेना चहिये आखिरीजुताई में पाटालगाना आति आवश्यकहै,जिससे कीखेत में नमीआधिक समय तकबनी रह सके।ट्रेक्टर, पावर टिलर, रोटावेटर या अन्यआधुनिक यन्त्र से खेतकी तैयारी शीघ्रकी जा सकतीहै।

बीज बुवाई

मूंग की बुवाईका समय औरकिस विधि सेउसे करना बोनाचाहिए?
बुवाई खरीफ औरजायद दोनों फसलोमें अलग अलगकी जाती है खरीफ मेंजुलाई के अन्तिमसप्ताह से अगस्तके तीसरे सप्ताहतक हल केपीछे कूड़ो कीजाती है कूंड से कुंडकी दूरी 30 से35 सेंटी मीटर रखनीचाहिए और जायदमें 10 मार्च से 10 अप्रैलतक हल केपीछे कूड़ो मेंकी जाती है कुंड सेकूंड 25 से 30 सेंटी मीटररखनी चाहिए बीज की बुवाईकूंड में 4 से5 सेंटी मीटर कुंडमें गहराई मेंकरनी चाहिए, जिससेकी गर्मी मेंजमाव अच्छा होसके जायदमें या गर्मीकी फसल मेंबुवाई के पश्चातहल्का पाटा लगानाअति आवश्यक है जिससे कीनमी उड़सके
मूंग की बुवाईमें बीज कीमात्रा प्रति हेक्टेयर कितनीलगती है, औरबीजो का शोधनहमारे किसान भाईकिस प्रकार करे?
मजैसा कि बीजकी मात्रा समयानुसारडाली जाती है खरीफ में12 से 15 किलोग्राम बीज प्रतिहेक्टेयर प्रयोग करना चाहिएऔर जायद में15 से 18 किलोग्राम बीज प्रतिहेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए इसका बीजशोधन 2.5 ग्राम थीरम अथवा2 ग्राम थीरम 1 ग्राम कार्बेन्डाजिमप्रति किलो बीजशोधित करने केबाद मूंग कोराइजोवियम कल्चर के 1 पैकेटसे 10 किलो ग्रामबीज का उपचारकरना चाहिए जिससे की हमाराजमाव और अच्छाहो सके औरभविष्य में बीमारीकम आये

पोषण प्रबंधन

मूंग की फसलमें उर्वरको काप्रयोग कितनी मात्रा मेंकरना चाहिए औरकब करना चाहिए?
उर्वरको का प्रयोगमृदा परीक्षण कीसंस्तुतियो के अनुसारही करना चाहिए।फिर भी 10 से15 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश की जगहसल्फर प्रति हेक्टेयरतत्व के रूपमें प्रयोग करनाचाहिए इनसभी की पूर्णमात्रा बुवाई के समयकूड़ो में बीजसे 2 से 3 सेंटीमीटरनीचे देना चाहिएइससे अच्छी पैदावारमिलती है।

जल प्रबंधन

फसल में सिचाईकैसे करनी चाहिएऔर कब करनीचाहिए?
मूंग में सिचाईभूमि की किस्म, तापक्रम हवाओ कीतीव्रता पर निर्भरकरती है खरीफ की फसलमें वर्षा कमहोने पर फलियाँबनते समय एकसिचाई करने कीआवश्यकता पड़ती है तथा जायदकी फसल मेंपहली सिचाई बुवाईके 30 से 35 दिनबाद और बादमें हर 10 से15 दिन के अंतरालपर सिचाई करतेरहना चाहिए जिससेहमें अच्छी पैदावारमिल सके

खरपतवार प्रबंधन

मूंग की फसलमें निराई गुड़ाईऔर खरपतवार नियंत्रणकिस प्रकार करनाचाहिए?
पहली सिचाई के 30 से35 दिन के बादओट आने परनिराई गुड़ाई करनाचाहिए, निराई गुड़ाई करनेसे खरपतवार नष्टहोने के साथसाथ वायु कासंचार होता हैजो की मूलग्रंथियोंमें क्रियाशील जीवाणुद्वारा वायुमंडलीय नत्रजन एकत्रितकरने में सहायकहोती है खरपतवार का रासायनिकनियंत्रण जैसे कीपेंडामेथालिन 30 सीकी 3.3 लीटर अथवाएलाकोलोर 50 सी3 लीटर मात्रा को 600 से700 लीटर पानी मेंघोलकर बुवाई 2 से3 दिन के अन्दरजमाव से पहलेप्रति हैक्टर कीदर से छिडकावकरना चाहिए। इससेकी खरपतवार काजमाव नहीं होताहै
प्रबंधन
मूंग की फसलमें कौन कौनसे रोग लगतेहै उसकी रोकथम किस प्रकारकरें?
मूंग में प्रायःपीला चित्रवर्ण मोजेकरोग लगता हैरोग के विषाणुसफ़ेद मख्खी द्वाराफैलते है। इसकीरोकथाम इस प्रकारकरनी चाहिए जैसेकि समय सेबुवाई करना अतिआवश्यक है दूसरामोजेक अवरोधी प्रजातियाँका प्रयोग बुवाईमें करना चाहिए।तीसरा मोजेक वालेपौधे को सावधानीसे उखाड़ करनष्ट देना चाहिए और रसायनका प्रयोग करनेमें डाईमेथोएट 30 सी 1 लीटर प्रयोगप्रति हैक्टर कीदर से प्रयोगकरना चाहिए जिससे की रोगहमारे फसल परप्रभाव नहीं डालतेहै

कीट प्रबंधन

फसल में कौनकौन से कीटकीट लगने कीसंभावना होती हैऔर उनकी रोकथामकिस प्रकार होनीचाहिए?
मूंग की फसलमें थ्रिप्स हरेफुदके कमला कीटएवम फली वेधककीट लगते हैइनमे नियंत्रण केलिए क्यूनालफास 25 सी 1.25 लीटर मात्रा600 से 800 लीटर पानीमें घोलकर प्रतिहैक्टर की दरसे छिडकाव करनाचाहिए जिससेकी कीटों काप्रकोप होसके

फसल कटाई

कटाई और मड़ाईका सही समयक्या है, कबऔर किस प्रकारकरनी चाहिए?
जब फसल मेंफलियाँ पककर अच्छीतरह से सुखजाए तभी कटाईकरनी चाहिए कटाई करने केबाद भी खलिहानअच्छी तरह सुखाकरमड़ाई करना चाहिए।इसके पश्चात ओसाईकरके बीज औरइसका भूसा अलग-अलग करलेना चाहिए

पैदावार

मूंग की फसलसे पैदावार कितनीप्राप्त होती है?
किसान भाईयो सभी तकनीकीप्रयोगों से सामान्यतःखरीफ और जायदकी फसलो मेंपैदावार अलग-अलगहोती है खरीफ में 12-15 कुंतलप्रति हैक्टर औरजायद में 10-12 कुंतलप्रति हैक्टर प्राप्तहोती है
मूंग की फसलप्राप्त होने परउसका भण्डारण हमारेकिसान भाई किसप्रकार करें?

बीज के भण्डारणसे पहले अच्छीतरह सुखा लेनाचाहिए। बीज में8 से 10 प्रतिशत से अधिकनमी नहीं रहनीचाहिए मूंगके भण्डारण मेंस्टोरेज बिन काप्रयोग करना चाहिए सूखी नीमकी पत्ती कोप्रयोग करने सेभण्डारण में कीड़ोसे सुरक्षा कीजा सकती है