बाजरा की खेती


परिचय

बाजरा की खेतीकिस प्रकार सेहोती है, कहाँ-कहाँ होतीहै?
भारत में बाजरामुख्य रूप सेराजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, उत्तरप्रदेश एवम तमिलनाडुमें उगाया जाताहै। बाजरा राजस्थानमें भारत केकुल क्षेत्र का50 प्रतिशत तथा 1/3 भाग उत्पादकताका उत्पादन कियाजाता है। उत्तरप्रदेश में क्षेत्रफलकी द्रष्टी सेबाजार का स्थानगेहू, धान तथामक्का के बादआता है। कमवर्षा वाले स्थानोंके लिए यहएक बहुत हीअच्छी फसल है।40 से 50 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षावाले क्षेत्रों मेंइसकी खेती सफलतापूर्वककी जा सकतीहै बाजारकी खेती मुख्यतःउत्तर प्रदेश मेंआगरा, बरेली एवमकानपुर मंडलों में अधिकतामें की जातीहै। सघन पद्धतियोंको अपनाकर उत्पादकतामें बढ़ोत्तरी कीजा सकती है।

जलवायु और भूमि

बाजरा की खेतीके लिए किसप्रकार की अनुकूलजलवायु होनी चाहिएऔर किस प्रकारकी भूमि कीआवश्यकता पड़ती है?
बाजरा की खेतीशुष्क जलवायु अर्थातकम वर्षा वालेक्षेत्रों में सफलतापूर्वककी जा सकतीहै इसके लिएहल्की या दोमटबलुई मिट्टी उपयुक्तहोती है। यहबरसात की फसलहै इसके भूमिका जल निकासउत्तम होना चाहिए।

प्रजातियाँ

कौन-कौन सीउन्नतशील प्रजातियाँ जिनका इस्तेमालहमारे किसान भाईकरे बताइए?
अच्छी उपज प्राप्तकरने के लिएउन्नतशील प्रजातियों का शुद्धबीज ही बोनाचाहिए जैसे संकुलप्रजातियों में आई.सी.एम्.बी 155, डब्लू.सी.सी. 75, आई.सी.टी.बी. 8203 एवम राज 171 है। तथासंकर प्रजातियों मेंपूसा 322, पूसा 23 एवम आई.सी ऍमएच्. 441 आदि है।

खेत की तैयारी

बाजार की फसलके लिए खेतकी तैयारी किसप्रकार से करनीचाहिए?
पहली जुताई मिट्टी पलटनेवाले हल सेतथा दो-तीनजुताइयां देशी हलया कल्टीवेटर सेखेत को अच्छीतरह भुरभुरा बनाकरपाटा लगाना चाहिए।आख़िरी जुताई में100 से 125 कुंतल सड़ी गोबरकी खाद खेततैयारी के समयही अच्छे तरहमिला देनी चाहिए।

बीज बुवाई

बाजार की खेतीमें बीज कीमात्रा कितनी प्रति हेक्टेयरपड़ती है औरबीजों का शोधनहमारे किसान भाईकिस प्रकार करे?
बीज की मात्रा4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयरबीज पड़ता हैयदि बीज उपचारितनहीं है तोबोने से पहलेएक किलोग्राम बीजको थीरम 2.5 ग्रामसे शोधित करलेना चाहिए।
बाजार की बुवाईका सही समयक्या है औरकौन सी विधिहमारे किसान भाईअपनाए?
बाजार की बुवाईमध्य जुलाई सेमध्य अगस्त तककर देना चाहिए।बुवाई 50 सेंटीमीटर लाइन सेलाइन की दूरीपर 4 सेंटीमीटर गहराईपर करना चाहिए।बुवाई हर समयहल के पीछेकरनी चाहिए। इसकीबुवाई छिटकवा विधिसे भी करतेहै।

पोषण प्रबंधन

फसल में खादऔर उर्वरको काप्रयोग हमें किसप्रकार करना चाहिए?
100 से 125 कुंतल गोबर कीसड़ी खाद खेतकी तैयारी केसमय आख़िरी जुताईमें मिला देनाचाहिए। उर्वरको का प्रयोगभूमि परीक्षण केआधार पर करनाचाहिए। यदि भूमिपरीक्षण नहीं उपलब्धहै तो संकरप्रजातियों के लिए60 से 100 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्रामफास्फोरस एवम 40 किलोग्राम पोटाशतथा देशी यासंकुल प्रजातियों केलिए 40 से 50 किलोग्राम नत्रजन, 25 किलोग्राम फास्फोरस एवं 25 किलोग्रामपोटाश प्रति हेक्टेयरप्रयोग करते है।फास्फोरस एवम पोटाशकी पूरी मात्रातथा नत्रजन कीआधी मात्रा बुवाईसे पहले बेसलड्रेसिंग द्वारा तथा शेषआधी नत्रजन कीमात्रा टाप ड्रेसिंगके रूप मेंबुवाई के 25 से30 दिन बाद खड़ीफसल में देनाचाहिए।

जल प्रबंधन

बाजरा की सिंचाईकब करनी चाहिएऔर किस प्रकारकरनी चाहिए?
वर्षा ऋतू मेंबुवाई के कारणवर्षा का हीपानी पर्याप्त होताहै। लेकिन वर्ष होने फसलमें फूल आनेपर एक यादो सिंचाइयां आवश्यकतानुसारकरनी चाहिए। जलनिकास का प्रबंधनअति आवश्यक है।

खरपतवार प्रबंधन

बाजार में कितनीबार निराई औरगुडाई करनी चाहिएसाथ ही छटाईयानी थिनिंग कबकरनी चाहिए औरखरपतवारों का जोनियंत्रण है वोहम किस प्रकारकरे?
बाजरा की खेतीके लिए निराई-गुडाई का अधिकमहत्व है। पहलीनिराई-गुडाई बुवाईके 15 से 20 दिनबाद करनी चाहिएदूसरी निराई-गुडाई35 से 40 दिन बादआवश्यकतानुसार करनी चाहिए।निराई-गुडाई करतेसमय पौधों कोछटनी या थिनिंगआवश्यकतानुसार करनी चाहिए।यदि फसल मेंपथरचट्टा के आलावाअधिक खरपतवार जमातेहै तो बुवाईके एक-दोदिनों के अन्दरलासो 50 .सी. या एलाक्लोर 5 लीटरभूमि पर छिडकावकरना चाहिए जिससेखरपतवारों का जमावही होसके।

रोग प्रबंधन

बाजार की फसलमें कौन-कौनसे रोग लगतेहै और उनरोगों पर हमकिस तरह सेनियंत्रण रख सकतेहै?
बाजार की फसलमें रोग लगतेहै जैसे कीबाजार का अर्गट, बाजार का कण्डुआअवम बाजरा कीहरित बाली रोगहै। इनके नियंत्रणके लिए बीजशोधन करके बुवाईकरनी चाहिए एकही खेत मेंलगातार बाजरा की फसलनहीं लेनी चाहिए।रोग ग्रस्त पौधोंको अवम बालियोंको निकाल देनाचाहिए इसके साथही मैन्कोजेब याजिनेब 75 प्रतिशत या जीरम80 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 2 किलोग्रामप्रति हेक्टेयर केहिसाब से प्रयोगकरना चाहिए।

कीट प्रबंधन

बाजार की फसलमें कौन-कौनसे कीट लगतेहै और उनकीरोकथाम हम किसप्रकार करे?
बाजार की फसलमें कई तरहके कीटों काप्रकोप होता हैजैसे की तनछेदक, प्ररोह मख्खी, पत्ती लपेटक, माहूआदि है। इनकेनियंत्रण हेतु खेतमें पुराने पड़ेअवशेषों को इकट्ठाकरके जला देनाचाहिए बीज शोधनकरके बोना चाहिएइसके साथ हीफैनीटोथ्रियान 50 .सी1 लीटर या क्यूनालफास25 .सी. 2 लीटरया कर्बराल 50 प्रतिशतघुलनशील चूर्ण . किलोग्राम प्रति हेक्टेयरकी दर सेप्रयोग करना चाहिए।पत्ती लपेटक हेतुडाईकलोर्वास 70 .सी. 650 मिलीलीटर या क्लोरपैरीफास20 .सी. 1 लीटरप्रति हेक्टेयर कीदर से प्रयोगकरना चाहिए।

फसल कटाई

कटाई और मड़ाईकरने का सहीसमय क्या हैकब करनी चाहिएकिस प्रकार करनीचाहिए?
जब फसल हमारीपूर्ण रूप सेबालियाँ पौधों सहित पककरतैयार हो जावेतभी कटाई करनीचाहिए। दो तरहसे कटाई कीजाती है एकतो नीचे सेतना सहित कटाईकरके बाद मेंबालें काटकर अलगकी जाती हैदूसरी केवल बालेंखड़ी फसल सेकटाई करके अलगकर लेते है।बालों को कटाईके बाद धूपमें अच्छी तरहसुखाकर ही बालोंसे बीज अलगकर लिया जाताहै।

पैदावार

सभी तरह कीसुरक्षा एवम सावधानियांअपनाने के बादहमें कितनी पैदावारप्राप्त हो जातीहै?

दो तरह कीप्रजातियाँ होती हैएक तो संकुलबाजरा दूसरा संकरबाजरा संकुल बाजराकी पैदावार 18 से20 कुंतल प्रति हेक्टेयर तथासंकर बाजरा कीप्रजातियों की पैदावार20 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयरप्राप्त होती है।