पालक की खेती
पालक की खेतीपत्ती वाली सब्जीके रूप मेंप्रचलित है, इसकीखेती रबी कीखेती के साथमें मुख्यरूप सेकी जाती है, अधिक तापमान परइसमे फूल जल्दीआ जाते हैI इसमे कैल्सियम कीमात्रा अधिक पाईजाती है, इसकेसाथ ही ऑक्जेलिकएसिड भी पायाजाता हैI
जलवायु और भूमि
पालक की खेतीके लिए किसप्रकार की जलवायुएवं भूमि होनीचाहिए?
पालक की खेतीके लिए दोमटमिट्टी सर्वोत्तम होती है, पानी का निकासअच्छा होना अतिआवश्यक हैI जिसभूमि का पी.एच 6 से7 होता है, वहभूमि अच्छी मानीजाती हैI
प्रजातियाँ
पालक की उन्नतशीलप्रजातियां कौन-कौनसी है?
पत्ती और बीजके आधार परदो-दो प्रकारकी पालक कीप्रजातियां पाई जातीहै, बीज केआधार पर इसमेरिंकिल सीड वालीतथा गोल सीडवाली होती हैI पत्ती के आधारपर इसमे चिकनीपत्ती तथा खबोईरिंकिल पत्ती वाली होतीहै, इनके आधारपर विर्जीनिया सबोईएवं अगेती चिकनीपत्ती वाली प्रजातियांपाई जाती हैजैसे की पालकआल ग्रीन, पूसाज्योति, हरित, आरती तथाजाबनेर ग्रीन आदि हैI
खेत की तैयारी
पालक की खेतीहेतु खेत किसतरह से तैयारकरना चाहिए?
खेत की तैयारीमें पहली जुताईमिट्टी पलटने वाले हलसे तथा दो-तीन जुताईदेशी हल याकल्टीवेटर से करनेके बाद, खेतमें पाटा लगाकरसमतल एवं भुरभुराबना लेना चाहिएI खेत की आखरीजुताई 250 से 300 कुंतल सड़ीगोबर की खादमिला देना चाहिएI
पालक की बुवाईमें बीज कीमात्रा प्रति हेक्टेयर कितनीलगती है तथाबीज शोधन किसप्रकार से करनाचाहिए?
पालक की खेतीमें बीज 37 से45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगताहै, छिटकवा बुवाईके कुछ अधिकमात्रा लगती हैI बीज शोधन थीरम2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम या2.5 ग्राम बेविस्टीन या सेरेसॉनया केप्टान प्रतिकिलोग्राम बीज कीदर से बीजको शोधित करकेबुवाई करनी चाहिएI
पालक की बुवाईका समय तथाकिस विधि सेकरनी चाहिए?
इसकी बुवाई मैदानी भागोमें सितम्बर सेअक्टूबर तक तथाशरद ऋतु मेंकी जाती हैतथा पहाड़ी क्षेत्रोमें अगस्त सेअक्टूबर तक बुवाईकी जाती हैI पालक की बुवाईछिटकवा विधि तथालाइनो में कीजाती है, इसकीपत्तियो की कटाईमें सुविधा रहतीहैI लाइन सेलाइन की दूरी30 से 35 सेंटीमीटर तथा पौधेसे पौधे कीदूरी 10 से 12 सेंटीमीटर रखतेहै तथा बुवाई3 से 4 सेंटीमीटर गहराई परकरना चाहिएI
पोषण प्रबंधन
पालक की खेतीमें खाद एवंउर्वरको की मात्राप्रति हेक्टेयर कितनीलगती है तथाइनका प्रयोग उन्हेंकब-कब करनाचाहिए?
खेत की तैयारीके साथ 250 से300 कुंतल सड़ी गोबरकी खाद देनाचाहिए, इसके साथही 80 से 100 किलोग्राम, नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा60 किलोग्राम पोटाश तत्व केरूप में देनाआवश्यक हैI नत्रजनकी आधी मात्राफास्फोरस एवं पोटाशकी पूरी मात्राखेत तैयारी केसमय बेसल ड्रेसिंगमें देनी चाहिए, शेष नत्रजन कीमात्रा दो बारमें पत्ती कीपहली कटाई मेंआधी तथा दूसरीकटाई में शेषपूरी मात्रा टापड्रेसिंगके रूप मेंदेनी चाहिए, अर्थातप्रत्येक पत्ती की कटाईपर 20 से 35 किलोग्रामनत्रजन देनी चाहिएI
जल प्रबंधन
पालक की फसलमें सिंचाई कबऔर कैसे करनीचाहिए?
अच्छी नमी मेंबुवाई करने परतुरंत सिंचाई कीआवश्यकता नहीं पड़तीहै, फिर भीबुवाई के 8 से10 दिन बाद सिंचाईकरना आवश्यक रहताहैI इसके पश्चात10 से 15 दिन केअंतराल पर सिंचाईकरते रहना चाहिएI, पत्तियो की प्रत्येककटाई के बादसिंचाई करना अतिआवश्यक हैI
खरपतवार प्रबंधन
पालक की फसलमें निराई-गुड़ाईकब करनी चाहिएतथा खरपतवार नियंत्रणकिस प्रकार करनाचाहिए?
पहली निराई-गुड़ाई दूसरीसिंचाई या 15 से 20 दिनबुवाई के बादकरनी चाहिए, कुलदो-तीन निराई-गुड़ाई करनी चाहिएI यदि खेत मेंअधिक खरपतवार उगतेहै, तो बुवाईके तुरंत बादएक-दो दिनके अंदर 30 प्रतिशतपेंडामेथलीन की 3.3 लीटर मात्राको 800 से 1000 लीटर पानीमें घोलकर प्रतिहेक्टेयर की दरसे खेत मेंछिड़काव करने परखरपतवारो का जमावही नहीं होताहैI
रोग प्रबंधन
पालक की फसलमें कौन-कौनसे रोग लगतेहै तथा उनकानियंत्रण हम किसतरह करना चाहिए?
पालक में मुख्यरूप से डम्पिंगआफ एवं सरकोस्पोरालीफ स्पॉट रोगलगते है, इनकीरोकथाम के लिएबीज को शोधनके बाद हीबोना चाहिएI इसकेसाथ ही खड़ीफसल पर 0.2 प्रतिशतब्लाइटाक्स 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयरके हिसाब सेहर 15 दिन केअंतराल पर दो-तीन छिड़कावकरना चाहिएI
पालक की फसलमें कौन-कौनसे कीट लगतेहै तथा उनकानियंत्रण हम किसतरह करना चाहिए?
पालक में एफिडया माहू, बीटलएवं कैटरपिलर पत्तियोको नुक्सान पहुचतेहै, इनकी रोकथामके लिए एल्ड्रीनया मैलाथियान काछिड़काव करना चाहिएतथा मिथायलपैराथियान 50 ई. सी. को 2 ग्रामप्रति लीटर पानीमें घोलकर छिड़कावकरना चाहिएI
फसल कटाई
पालक की कटाईकब और कैसेकरनी चाहिए?
पालक की पत्तियोकी कटाई बुवाईके 4 सप्ताह बादशुरू की जातीहै, कुल कटाईपूरे सीजन में4 से 5 बार करनीचाहिएI कीटनाशक का छिड़कावपत्तियो की कटाईके बाद करनाचाहिएI
पालक की फसलमें हमें कितनीउपज प्राप्त होजाती है?
पालक की पूरीकटाइयो के बादकुल 80 से 100 कुंतल उपजप्राप्त होती हैI