अमरुद की खेती
अमरुद की बागवानीपूरे देश मेंकी जाती हैदेश के सभीलोग इस फलको बड़ी रूचीके साथ खातेहै पोषक गुणोंमें अमरुद बहुतही अच्छा होताहै बल्कि यहफल सेव सेभी पोषक गुणोंमें अधिक अच्छामाना जाता हैअमरुद में विटामिनसी अधिक मात्रामें पाया जाताहै।
जलवायु और भूमि
अमरूद की खेतीके लिए जलवायुऔर भूमि किसप्रकार उन्हें चयन करनाचाहिए और क्यास्थति होनी चाहिएउसके लिए ?
अमरूद के लिएसमशीतोष्ण जलवायु अच्छी मनानीजाती है इसकीखेती गर्म तथाशुष्क व् ठंडीहवा चलने वालेतथा कम याज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रोमें भी अच्छीतरह से कीजा सकती हैअमरूद की खेतीलगभग सभी प्रकारकी भूमि मेंकी जा सकतीहै फिर भीउपजाऊ बलुई दोमटभूमि उत्तम रहतीहै।
प्रजातियाँ
वह कौन-कौनसी उन्नतशील प्रजातियाँजो अमरूद केलिए सही पाईजाती है औरउनका इस्तेमाल हमारेकिसान भाई किसप्रकार करे?
अमरूद की बहुतसी किस्मे प्रचलितहै जैसे कीइलाहाबादी सफ़ेदा,सरदार (लखनऊ-49),सेबनुमा अमरूद (एप्पल कलरग्वावा ),इलाहाबादी सुरखा, बेहटकोकोनट एवं ललितहै। इलाहाबादी सफ़ेदाएवं सरदार इसीको लखनऊ -49 कहतेहै, अपने स्वादएवं फलत केलिए विशेष तौरसे विख्यात है।
खेत की तैयारी
अमरूद की रोपाईहेतु किस तरहसे गड्ढो कोतैयार करे?
इसके पौधे कीरोपाई हेतु पहले60 सेमी० चौड़ाई, 60 सेमी० लम्बाई, 60 सेमी० गहराई के गड्ढेतैयार करके 20-25 किग्रासड़ी गोबर कीखाद 250 ग्राम सुपर फास्फेटतथा 40-50 ग्राम फालीडाल धुलऊपरी मिटटी मेंमिलाकर गड्ढो को भरकर सिचाई करदेते है इसकेपश्चात पौधे कीपिंडी के अनुसारगड्ढ़े को खोदकरउसके बीचो बीचलगाकर चारो तरफसे अच्छी तरहदबाकर फिर हल्कीसिचाई कर देतेहै।
अमरूद की फसलके पौध कारोपण और उसकासही समय किसप्रकार हम चुनावकरे?
पौध रोपण केलिए जुलाई, अगस्ततथा सितम्बर माहको उपयुक्त मानतेहै जहा परसिचाई की समस्यानहीं होती हैवहाँ पर फरवरीमार्च में भीरोपण किया जासकता है अमरूदके पौधो कालाईन से लाईन5 मीटर तथा पौधेसे पौधे 5 मीटरअथवा लाईन सेलाईन 6 मीटर औरपौधे से पौधे6 मीटर की दूरीपर रोपण कियाजा सकता है।
पोषण प्रबंधन
अमरूद की खेतीहेतु खाद औरउर्वरक की हमेंकितनी मात्रा प्रयोगमें लेना चाहिए?
पौधा लगाने से पहलेगड्ढा तैयार करतेसमय प्रति गड्ढा20 से 25 किग्रा सड़ी गोबरकी खाद डालकरतैयार गड्ढे मेंपौध लगते हैइसके पश्चात प्रतिवर्ष 5 वर्ष तकइस प्रकार कीखाद दी जातीहै जैसे कीएक वर्ष कीआयु के पौधेपर 15 किलोग्राम गोबरकी खाद, 260 ग्रामयूरिया, 375 ग्राम सुपर फास्फेटतथा 500 ग्राम पोटेशियम सल्फेटइसी प्रकार दोवर्ष के पौधेके लिए 30 किलोग्रामगोबर की खाद, 500 ग्राम यूरिया, 750 ग्राम सुपरफास्फेट एवं 200 ग्राम पोटेशियमसल्फेट। तीन सालके पौधे केलिए 45 किलोग्राम गोबर कीखाद, 780 ग्राम यूरिया, 1125 ग्रामसुपर फास्फेट एवं300 ग्राम पोटेशियम सल्फेट। औरचार साल केपौधे के लिए60 किलोग्राम गोबर कीखाद, 1050 ग्राम यूरिया, 1500 ग्रामसुपर फास्फेट एवं400 ग्राम पोटेशियम सल्फेट इसीतरह से पांचसाल के पौधेके लिए 75 किलोग्रामगोबर की खाद, 1300 ग्राम यूरिया, 1875 ग्राम सुपर फास्फेटएवं 500 ग्राम पोटेशियम सल्फेटकी आवश्यकता पड़तीहै। संस्तुति खादकी मात्रा पेड़की आयु केअनुसार दो भागोंमें बांटकर एकभाग प्रति पेड़जून में दूसराभाग अक्टूबर मेंतने से एकमीटर की दूरीपर चारो ऒरवृक्षों के छत्रके नीचे किनारोंतक डालना चाहिएइसके पश्चात तुरंतसिचाई कर देनीचाहिए।
फसलो का प्रबन्धन, प्रबंधन हमें कैसेकरना चाहिए क्यास्थति है?
अमरूद में एकसाल में दोफलत या फसलप्राप्त होती हैएक फसल बरसातदूसरी जाड़े केमौसम में प्राप्तहोती है बरसातकी फसल कीगुणवता अच्छी नहीं होतीहै अतः व्यवसायिकदृष्टिसे केवल जाड़ेवाली फसल लेनाचाहिए अच्छी फसलप्राप्त हेतु 10 से 15 प्रतिशतयूरिया अर्थात 100-150 ग्राम यूरिया प्रतिलीटर पानी मेंघोलकर दो छिडकावअप्रैल -मई, पुष्पअवस्थामें तथा 8 से10 दिन के अन्तरालपर करना चाहिएऐसा करने सेजाड़े के मौसममें 3-4 गुना आधिकफल प्राप्त होतेहै।
जल प्रबंधन
अमरुद की फसलमें कितनी सिचाईहमें करनी चाहिएऔर कब-कबकरनी चाहिए?
अमरुद उत्पादन में सिंचाईपर ध्यान देनाअतिआवश्यक है। छोटेपौधे की सिचाईशरद ऋतू में15 दिन के अन्तरालपर तथा गर्मियोंमें 7 दिन केअन्तराल पर करनीचाहिए लेकिन बड़ेहोने पर आवश्यकतानुसारसिचाई करनी चाहिए।
अमरूद के पौधेकी कटाई छाटाईऔर सघाई कबऔर किस प्रकारकरे?
अमरुद के उत्पादनमें प्रारम्भ मेंसघाई क्रिया पेड़ोकी वृद्धि सुन्दरऔर मजबूत ढाचाबनाने के लिएकी जाती हैशुरू में मुख्यतना में जमीनसे 90 सेमी० कीउचाई तक कोईशाखा नहीं निकलनेदेना चाहिए इसकेपश्चात तीन याचार शाखाये बढ़नेदी जाती हैइसके पश्चात प्रतिदूसरे या तीसरेसाल ऊपर सेटहनियों को काटतेरहना चाहिए जिससेकी पेड़ो कीउचाई अधिक नहो सके यदिजड़ से कोइफुटाव या किल्लानिकले तो उसेभी काट देनाचाहिए।
रोग प्रबंधन
अमरूद की फसलमें कौन कौनसे रोग लगतेहै और उनकानियंत्रण हमें किसप्रकार करना चाहिए?
अमरूद में उकठारोग तथा श्यामवर्ण ,फल गलनया टहनी मारलगते है नियंत्रणके लिए उकठारोग हेतु खेतसाफ सुथरा रखनाचाहिए अधिक पानीन लगे ,कर्वानिकखादों का प्रयोगतथा ऐसे पेड़ोको उखाड़ करअलग कर देनाचाहिए अन्य रोगोहेतु रोग ग्रस्तडालियों को काटकर0.3% का कापर आक्सीक्लोराईडके घोल काछिडकाव दो यातीन 15 दिन केअन्तराल पर करनाचाहिए।
कीट प्रबंधन
कौन कौन सेकीट जो अमरूदकी फसल कोनुकसान पहुचा सकते हैऔर उनका नियंत्रणहमें किस प्रकारकरना चाहिए?
अमरूद की फसलमख्खियां तथा छालखाने वाली सुडीलगाती है मख्खियांनियंत्रण हेतु ग्रसितफल प्रति दिनइकठा करके नष्टकर देना चाहिएसम्भव हो तोबरसात की फसलन ले तथा500 मिली लीटर मेलाथियान50 ई. सी. केसाथ 5 किलो ग्रामगुड या चीनीको 500 लीटर पानीमें मिलाकर प्रतिएकड़ छिडकाव करेयह 7 से 10 दिनके अन्तराल परपर दुबारा करेंसुडी के लिएसितम्बर अक्टूबर में 10 मिलीलीटर मोनोक्रोटोफास या10 मिली लीटर मेटासिड(मिथाइल पैराथियान ) को 10 लीटरपानी में मिलाकरतना की छालके सूराखो केचारो ओर छालपर लगाना चाहिएजिससे की कीटप्रभाव न करे।
फसल कटाई
अमरूद में फलतकब होती हैऔर फलो कीतुडाई हमारे किसानभाई किस प्रकारकरे?
अमरूद के फलोकी तुडाई कैचीकी सहायता सेथोड़ी सी डंठलएवं एक दोपते सहित काटकरकरनी चाहिए खानेमें आधिकतर अधपकेफल पसंद कियेजाते है तुडाईदो दिन केअन्तराल पर करनीचाहिए।
अमरूद के पेड़ोसे प्रति पेड़कितनी पैदावार हमारेकिसान भाई प्राप्तकर सकते है?
पौधे लगाने के दोवर्ष बाद फलमिलना प्रारम्भ होजाते है पेड़ोकी देख-रेखअच्छी तरह सेकी जाय तोपेड़ 30 से 40 वर्ष तकउतपादन की अवस्थामें बने रहतेहै उपज कीमात्रा किस्म विशेष जलवायुएवं पेड़ कीआयु अनुसार प्राप्तहोती है फिरभी 5 वर्ष कीआयु के एकपेड़ से लगभग400 से 600 तक अच्छेफल प्राप्त होतेहै।