उरद की खेती
उर्द देश कीएक मुख्य दलहनीफसल है, इसकीखेती मुख्य रूपसे खरीफ मेंकी जाती है, लेकिन जायद मेंसमय से बुवाईसघन पद्धतियों कोअपनाकर करने सेअच्छी पैदावार प्राप्तकी जा सकतीहै, उर्द कीखेती पूरे उत्तरप्रदेश के सभीजिलो में कीजाती है।
उर्द की कौनसी ऐसी प्रजातियाँहै, जिनका इस्तेमालहम खेती केलिए करे?
मुख्य रूप सेदो प्रकार कीप्रजातियाँ पायी जातीहै, पहला खरीफमें उत्पादन हेतुजैसे कि - शेखर-3, आजाद उर्द-3, पन्तउर्द-31, डव्लू.वी.-108, पन्तयू.-30, आई.पी.यू.-94 एवं पी.डी.यू.-1 मुख्य रूप सेहै, जायद मेंउत्पादन हेतु पन्तयू.-19, पन्त यू.-35, टाईप-9, नरेन्द्र उर्द-1, आजादउर्द-1, उत्तरा, आजाद उर्द-2 एवं शेखर-2 प्रजातियाँहै। कुछ ऐसेभी प्रजातियाँ है, जो खरीफ एवंजायद दोनों मेंउत्पादन देती है, जैसेकि टाईप-9, नरेन्द्रउर्द-1, आजाद उर्द-2, शेखर उर्द-2येप्रजातियाँ दोनों ही फसलोमें उगाई जा सकतीहै।
उपयुक्त जलवायु
उर्द की खेतीके लिए जलवायुऔर भूमि किसप्रकार की होनीचाहिए?
उर्द की खेतीके लिए फसलपकाते समय शुष्कजलवायु की आवश्यकतापड़ती है, जहाँतक भूमि कासवाल है, समुचितजल निकास वालीबलुई दोमट तथादोमट भूमि इसकीखेती के लिएसबसे उपयुक्त मानीजाती है, लेकिनजायद में उर्दकी खेती मेंसिचाईयो की अतिअवश्यकता पड़ती है ।
खेत की तैयारी
खेत की तैयारीकिस तरह करे?
खेत की पहलीजुताई हैरो सेकरने के पश्चात, दो- तीन जुताइयांकल्टीवेटर से करनीचाहिए, आख़िरी जुताई मेंपाटा लगाना अतिअवश्यक है, जिससेनमी सुरक्षित बनीरहे, ख़ासकर जायदकी फसल मेंनिश्चित ही पाटालगाना चाहिए।
उर्द की फसलके लिए बुवाईका सही समयक्या है, औरकौन सी विधिका प्रयोग करे?
बुवाई खरीफ वजायद दोनों फसलोमें अलग-अलगसमय पर कीजाती है, खरीफमें जुलाई केप्रथम पक्ष मेंबुवाई की जातीहै, जायद में15 फरवरी से 15 मार्च तकबुवाई की जातीहै, जहाँ तकरहा सवाल बुवाईके तरीके का, उर्द की बुवाईहल के पीछेकुडों में करनाचाहिए, खरीफ मेंकूंड से कूंडकी दूरी 30 से45 सेमी. रखना अतिउत्तम है, जायदमें कूंड सेकूंड की दूरी25 से 30 सेमी. रखना चाहिए, बुवाई के तुरंतबाद हल्का पाटालगा देना चाहिए, जिससे की हमारीनमी सुरक्षित बनीरह सके, यहकरना जायद मेंअति आवश्यक है।
उर्द की बुवाईमें बीज कीमात्रा प्रति हेक्टर कितनीलगती है औरउसका शोधन हमारेकिसान भाई किसप्रकार करे?
बीज की मात्रासमयनुसार डाली जातीहै, खरीफ में12-15 किलोग्राम प्रति हेक्टर प्रयोगकरनी चाहिए, इसकीजायद में 15-18 किलोग्रामप्रति हेक्टर प्रयोगकरते है, क्योकिजायद में पौधाकम बढ़ता है।बीज का शोधनकरना अतिआवश्यक है, बीज को 1 ग्रामकार्बेन्डाजिम अथवा 2 ग्राम थीरमसे प्रति किलोग्रामबीज की दरशोधित करने केबाद, उर्द केराईजोबियम कल्चर के एकपैकेट से 10 किलोग्रामबीज काउपचार करनाचाहिए।
जल प्रबंधन
उर्द की फसलमें सिंचाई कासही समय क्याहै, और कबकरनी चाहिए?
खरीफ की फसलमें वर्षा कमहोने पर फलियाँबनते समय एकसिंचाई करने कीअति आवश्यकता पडतीहै, तथा जायदकी फसल मेंपहली सिंचाई बुवाईके 30-35 दिन बादकरनी चाहिए, इसकेबाद आवश्यकतानुसार 10-15 दिनके अंतराल परसिंचाई करते रहनाचाहिए ।
उर्द की फसलमें उर्वरको काप्रयोग हमें कितनीमात्रा में करनाचाहिए?
सामान्यत: उर्वरको का प्रयोगमृदा परीक्षण कीसंस्तुतियो के अनुसारकरना चाहिये, लेकिन15-20 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरसएवं 20 किलोग्राम गंधक प्रतिहेक्टर प्रयोग तत्त्व केरूप में करनाचाहिए, उर्वरको की पूरीमात्रा, बुवाई के समयकूड़ों में 2-3 सेंटीमीटर नीचेदेना चाहिए।
खरपतवार प्रबंधन
उर्द की फसलमें निराई-गुडाईऔर खरपतवार कानियंत्रण किस प्रकारकरें?
बुवाई के बादलगभग 30 दिन बादनिराई-गुडाई करनीचाहिए, दूसरी निराई-गुडाई45 से 50 दिन बादकरनी चाहिए, इससेखरपतवार नियंत्रण भी होताहै, लेकिन रासायनिकखरपतवार नियंत्रण हेतु पेंडीमेथिलीन 30 ई. सी. की 3.3 लीटरअथवा एलाक्लोर 50 ई. सी की 3 लीटरको 600-700 लीटर पानीमें घोलकर बुवाईके बाद 2 से3 दिन के अन्दरजमाव से पहलेछिडकाव कर देनाचाहिए, इससे खरपतवारउगते ही नहींहै।
रोग प्रबंधन
खेत में लगनेवाले जो रोगहै, उनकी रोकथामकैसे करे?
उर्द में प्रायःपीले चित्रवर्ण यामोजैक रोग लगताहै, इसमे रोगके विषाणु सफ़ेदमक्खी के द्वाराफैलता है, इसकीरोकथाम के लिए, समय से बुवाईकरना अति आवश्यकहै, दूसरा मोजैकअवरोधी प्रजातियों की बुवाईकरनी चाहिए, इसकेसाथ ही साथमोजैक से ग्रषितपौधे फसल मेंदिखते ही सावधानीपूर्वक उखाड़ कर नष्टकर देना चाहिएऔर रसायनों काप्रयोग भी करतेहै, जैसे कि- डाईमिथोएट 30 ई. सी. 1 लीटर प्रति हेक्टर यामिथाईल-ऒ-डिमेटान25 ई. सी. 1 लीटरप्रति हेक्टर कीदर से छिडकावकरना चाहिए।
कीट प्रबंधन
उर्द में कौन-कौन सेकीट लगने कीसंभावनाए होती है, और उन परकैसे नियंत्रण स्थापितकरे?
उर्द की फसलमें थ्रिप्स, हरेफुदके, कमला कीटएवम फली भेदककीट आदि लगतेहै, इसके नियंत्रणके लिए क्युनाल्फोस25 ई. सी. 1.25 लीटरमात्रा प्रति हेक्टर कीदर से 700-800 लीटरपानी में घोलकरछिडकाव करना चाहिए, जिससे की फसलमें लगे कीटोंका नियंत्रण होसके।
फसल की कटाईऔर मड़ाई हमेंकब और किसप्रकार करनी चाहिएउसका सही समयक्या है?
जब फसल मेंफलियाँ पूरी तरहपककर सूख जाये, तभी कटाई करनीचाहिए, कटाई केबाद भी खलिहानमें फसल कोअच्छी तरह सुखाकरही मड़ाई करकेतथा बीज ऒसाईंकरके अलग करलेना चाहिए।
पैदावार
फसल की कटाईऔर मड़ाई केबाद उसके भंडारणके लिए हमेंक्या तकनीक अपनानीचाहिए?
भंडारण के लिएबीज को भंडारणकरने से पहलेअच्छी तरह सेसुखा लेना चाहिए, क्योकि बीज में10 प्रतिशत से अधिकनमी नहीं रहनीचाहिए, उर्द केभंडारण में स्टोरेजबीनस का प्रयोगकरना चाहिए, सुखीनीम की पत्तीको बीज मेंमिलाकर भंडारण करने परकीड़ो से सुरक्षाकी जा सकतीहै।
उर्द की फसलसे कितनी पैदावारप्राप्त कर सकतेहै?
जायद में उपज10-12 कुंतल प्रति हेक्टर प्राप्तहोती है तथाखरीफ में 12-15 कुंतलप्रति हेक्टर प्राप्तहोती है।