प्याज की खेती

परिचय

भारत वर्ष में पूरे वर्ष बाजारों में प्याज के मूल्य में उतार चड़ाव रहता है, प्याज की खेती उत्तर भारत में जादातर रबी की फसल में की जाती है, इसका मनुष्य के जीवन में बहुत ही महत्व है, प्रत्तेक शाकभाजी में इसका प्रयोग किया जाता है, इसके साथ ही प्याज पीलिया, कब्ज़, बवासीर, एवं यकृत सम्बन्धी बिमारियों में बहुत ही लाभदायक शिद्ध हुआ है।

प्रजातियाँ

प्याज की जो प्रजातियाँ हैं उनका चुनाव किस प्रकार करें?
प्याज की प्रजातियाँ जैसे कल्यानपुर लाल गोल, एग्रोफाइंड लाइट रेड, पूसा रतनाकर सामान्य प्रजातियाँ हैं, संकर प्रजातियों में एक्स कैलीवर, बर्र गंधी, कोपी मोरेन तथा रोजी ये सामान्य एवं संकर प्रजातियाँ हैं।

उपयुक्त भूमि

प्याज कि खेती के लिए जलवायु एवं भूमि कैसी होनी चाहिए?
प्याज की खेती के लिए समशीतोषण जलवायु उपयुक्त होती है, भूमि के सम्बन्ध में जीवांश युक्त उचित जल निकाश वाली दोमट भूमि, या बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है।

उपयुक्त जलवायु

प्याज कि खेती के लिए जलवायु एवं भूमि कैसी होनी चाहिए?
प्याज की खेती के लिए समशीतोषण जलवायु उपयुक्त होती है, भूमि के सम्बन्ध में जीवांश युक्त उचित जल निकाश वाली दोमट भूमि, या बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है।
खेत की तैयारी
प्याज की बुवाई करते समय अपने खेत की तैयारी किस प्रकार से करें?
खेत की तैयारी  के सम्बन्ध में पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से इसके बाद ३-४ जुताई कल्टीवेटर से करनी चाहिए, इसके साथ ही साथ यह ध्यान रखें की खेत को भुरभुरा करके तैयार करें। 

बीज बुवाई

बीज की मात्रा प्रति हैक्टर कितनी लगती है?
रबी की फसल में बीज 10-12 कि०ग्रा० प्रति हैक्टर सामान्य प्रजातियों का लगता है, तथा 4-5 कि०ग्रा० प्रति हैक्टर संकर प्रजातियों का लगता है।

पौधशाला

प्याज की पौध डालने का सही और उपयुक्त समय क्या है?
पौध डालने का सर्वोत्तम समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक उचित माना जाता है, इसकी पौध डालने के लिए क्यारी की चौड़ाई एक मीटर, 15 सेमी०, ऊंचाई तथा आवश्यकतानुसार लम्बाई रखनी चाहिए, लेकिन 5-10 मीटर लम्बी क्यारी उपयुक्त होती है, दो क्यारियों के बीच में जो नाली बनती है उसी से सिंचाई एवं निराई, गुड़ाई का कार्य करना चाहिए।

प्रतिरोपण

प्याज की पौध रोपण हमारे किसान भाई किस प्रकार से करें?
प्याज की रोपाई लाइन में करनी चाहिए, लाइन से लाइन की दूरी 15-20 सेमी० तथा पौध से पौध की दूरी 10-12 सेमी० रखनी चाहिए, पौध 30-35 दिन की पौध रोपाई के लिए उपयुक्त होती है।

जल प्रबंधन

सिंचाई की कितनी आवश्यकता पड़ती है, प्याज की खेती में?
पौध की रोपाई के बाद तुरंत पानी लगाना उचित नहीं है, बल्कि एकदिन बाद पानी लगाना चाहिए, इसके पश्चात् आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहना चाहिए, लेकिन फिर भी 6-7 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है।

पोषण प्रबंधन

इसमे खाद की कितनी आवश्यकता पड़ती है?
200-250 कु० सड़ी गोबर की खाद इसके साथ ही 120 कि०ग्रा० नत्रजन, 60 कि०ग्रा० फास्फोरस, एवं ८० कि०ग्रा० पोटाश तत्व के रूप में देना चाहिए, नत्रजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी करते समय तथा  फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय खेत में देनी चाहिए, शेष नत्रजन की मात्रा से 1/4 भाग रोपाई के 40-45 दिन बाद शेष 1/2 भाग 70-75 दिन के बाद बढ़वार की स्थिति में हो तो प्रयोग करना चाहिए।   

खरपतवार प्रबंधन

प्याज की खेती में खरपतवारो का नियंत्रण किस प्रकार किया जा सकता है?
रोपाई के बाद 2-3 बार निराई गुड़ाई करना अति आवश्यक है, रोपाई करने के पहले तैयार खेत में 3.5 लीटर स्टाम्प दवा 800-1000 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करने से खरपतवारों का जमाव कम होता है।

रोग प्रबंधन

प्याज की फसल के प्रमुख रोग कौन कौन से है और उसका नियंत्रण किस तरह से करें?
प्याज की फसल में सबसे पहले पौध की गलन बीमारी लगती है इसके पश्चात् पर्पल लीफ ब्लोच बीमारी लगती है, पौध की गलन की बीमारी के उपचार के लिए 0.2% थीरम से बीज का उपचार करना अति आवश्यक है, 2 ग्राम थीरम प्रति  कि०ग्रा० बीज के हिसाब से शोधित करना चाहिए,पर्पल लीफ ब्लोच रोग की रोकथाम के लिए 2 कि०ग्रा० कापर अक्सिक्लोराइड प्रति हैक्टर की दर से छिडकाव करना चाहिए, इसके साथ ही इंडोफिल 2-2.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए,रोगों के साथ साथ थ्रिप्स कीट भी इसमे लगता है इसकी रोकथाम के लिए डेमेक्रान 250 एम एल प्रति हैक्टर की दर से छिडकाव करना चाहिए या इंडोफिल 2-2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर  10-15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करते रहना चाहिए।

फसल कटाई

प्याज की खुदाई कब करें?
जब प्याज परिपक्व हो जाती है तब कंदों का उपरी पर्त सुनहरी रंग की हो जाती है, उसी समय खुदाई करना उचित रहता है ।

पैदावार

प्याज की उपज प्रति हैक्टर कितनी मात्रा में प्राप्त कर सकतें हैं?

सामान्य प्रजातियों की पैदावार 250-300 कुंतल प्रति हैक्टर एवं संकर प्रजातियों की 300-350 कुंतल प्रति हैक्टर होती है।