सोयाबीन की खेती

परिचय

सोयाबीन की खेतीमैदानी क्षेत्रों में अभीहाल में हीकुछ वर्षो सेशुरू हुई है।इसमे 40 से 50 प्रतिशत प्रोटीनतथा 20 से 22 प्रतिशत तकतेल की मात्रापाई जाती है।इसके प्रयोग सेशरीर को प्रचुरमात्रा में प्रोटीनमिलती है। प्रदेशके बुंदेलखंड केसभी जनपदों एवमबदाऊ, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, मेरठ आदिजिलो में इसकीखेती सफलतापूर्वक कीजाती है।

जलवायु और भूमि

सोयाबीन की खेतीके लिए किसप्रकार की जलवायुऔर भूमि कीआवश्यकता होती है?
सोयाबीन की खेतीके लिए गर्मतथा तर जलवायुहोना चाहिए। इसकीखेती लिए सबसेउत्तम भूमि दोमटहोती है लेकिनबुंदेलखंड की सभीप्रकार की भूमिमें सफलतापूर्वक इसकीखेती की जासकती है।

प्रजातियाँ

सोयाबीन की कौन-कौन सीउन्नतशील प्रजातियाँ पाई जातीहै?
इसमे बहुत सीप्रजातियाँ पाई जातीहै जैसे की- पी. के. 772, 262, 416, पी. एस. 564, 1024, 1042, जे.एस. 71-5, 93-5, 72-44, 75-46, जे.एस.2, 235, पूसा16, 20 ऍम यू एस46 एवं 37 प्रजाति है।

खेत की तैयारी

सोयाबीन की फसलउगाने के लिएअपने खेतों कीतैयारी हम किसप्रकार करे बताईये?
खेत की पहलीजुताई गर्मियों मेंमिट्टी पलटने वाले हलसे गहरी करनीचाहिए जिससे हानिकारककीड़े-मकोड़े आदिख़त्म हो जावेऔर गोबर कीसड़ी खाद 100 से150 कुंतल प्रति हेक्टेयर मिलादेनी चाहिए। दो-तीन जुताईकल्टीवेटर से करनेके पश्चात खेतको भुरभुरा बनालेना चाहिए।

बीज बुवाई

बुवाई हेतु बीजकी मात्रा कितनीनिर्धारित होनी चाहिएऔर बीजो काशोधन हमारे किसानभाई किस प्रकारकरे?
बुवाई वाले बीजका अंकुरण 75 से80 प्रतिशत से कमनहीं होना चाहिए।ऐसे बीज कीमात्रा 75 से 80 किलोग्राम प्रतिहेक्टेयर लगती है।बीजोपचार हेतु बीजको बुवाई सेपहले प्रति किलोग्रामबीज को 2 ग्रामथीरम या 1 ग्रामकार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्णके मिश्रण सेशोधित कर लेनाचाहिए या थायोफिनेटमिथायल 1.5 ग्राम प्रति किलोग्रामबीज की दरसे शोधित करनाचाहिए जिन खेतोंमें सोयाबीन कीखेती पहली बारया काफी समयबाद बोया जारहा है वहांपर बीज कोराईजोबियम कल्चर से भीउपचारित करना चाहिए।एक पैकेट कल्चरको 10 किलोग्राम बीजके उपचारित याऊपर से छिड़ककरहाथ से हलकेमिलाये जिससे की बीजके ऊपर एकहल्की परत बनजाए एस बीजकी बुवाई तुरंतकर देनी चाहिए।तेज धूप सेबचाव करना अतिआवश्यक है तेजधूप से जीवाणुमरने की आशंकारहती है।
सोयाबीन की बुवाईका सही समयऔर विधि क्याहै और किसतरह से इस्तेमालहमारे किसान भाईकरे?
मैदानी क्षेत्रों में बुवाईका उचित समय20 जून से 10 जुलाई तकहै बुवाई लाईनोंमें करनी चाहिए।लाइन से लाइनकी दूरी 45 सेंटीमीटरतथा पौधे सेपौधे की दूरी3 से 5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।बीज को 3 से4 सेंटीमीटर की गहराईपर बुवाई करनीचाहिए इसकी बुवाईअधिक गहरी नहींकरनी चाहिए।

पोषण प्रबंधन

सोयाबीन की फसलमें खाद औरउर्वरक का प्रयोगहमें कितनी मात्रामें करना चाहिए, कब करना चाहिएऔर किस प्रकारसे करना चाहिए?
उर्वरको का प्रयोगमृदा परीक्षण कीसंस्तुतियों के आधारपर किया जानाचाहिए। यदि मृदापरीक्षण नहीं करायागया है तोउन्नतशील प्रजातियों के लिएनत्रजन 20 किलोग्राम, फास्फोरस 80 किलोग्रामतथा पोटाश 40 किलोग्रामतत्व के रूपमें प्रति हेक्टेयरप्रयोग करना चाहिए।खाद की पूरीमात्रा अंतिम जुताई मेंहल के पीछे6 से 7 सेंटीमीटर की गहराईपर डालनी चाहिएबुवाई के 30 -35 दिनबाद सोयाबीन केकुछ पौधे उखाड़करदेखना चाहिए कीजड़ों में ग्रंथियांबनी है यानहीं यदि ग्रंथियां बनी होतो 30 किलोग्राम नत्रजनकी मात्रा प्रतिहेक्टेयर की दरसे फूल आनेके एक सप्ताहपहले फसल मेंडालना चाहिए। 200 किलोग्रामजिप्सम का भीप्रयोग करना चाहिएजिससे उपज अच्छीप्राप्त हो सके।

जल प्रबंधन

फसल में सिंचाईहमें कब करनीचाहिए उसका सहीसमय क्या है?
सोयाबीन की फसलवर्षा पर आधारितहै यदि वर्षा हो तोफूल एवम फलीआने पर सिंचाईकरना अति आवश्यकहै। यदि वर्षाका पानी खेतमें अधिक भरजाता है तोपानी को निकलनेका प्रबंध करनाअति आवश्यक हैनहीं तो फसलपर कुप्रभाव पड़ताहै इससे पैदावारकम होने कीसंभावना बढ़ जातीहै।

खरपतवार प्रबंधन

सोयाबीन की निराई-गुडाई और उसपर खरपतवारों कानियंत्रण हमारे किसान भाईकिस प्रकार करे?
सोयाबीन के खेतको निराई-गुडाईकरके खरपतवारों सेमुक्त रखना चाहिए।पहली बुवाई के25 दिन बाद दूसरी45 दिन बाद निराई-गुडाई करनी चाहिए । रसायनोंका प्रयोग करनेके लिए इसकीबुवाई से पहले24 घंटे के अन्दरफ्लुक्लोरेफिलीन 45 .सी. 2.25 लीटर मात्रा को 700 से800 लीटर पानी मेंघोलकर प्रति हेक्टेयरकी दर सेछिडकाव करके भूमिमें मिला देनाचाहिए या सोयाबीनकी बुवाई केतुरंत बाद एलाक्लोर50 .सी. 4 लीटरअथवा मेटोलाक्लोर 50 .सी. 2 लीटर को700 से 800 लीटर पानीमें घोलकर प्रतिहेक्टेयर की दरसे छिडकाव करनाचाहिए इससे खरपतवारोंका जमाव नहींहोता है।

रोग प्रबंधन

कौन-कौन सेरोग लगते हैसोयाबीन की फसलमें रोगों परनियंत्रण हम किसतरह से स्थापितकरे किसान भाईयोको बताईये?
सोयाबीन में पीलाचित्रवर्ण रोग तथासुत्रक्रमि रोग लगतेहै। चित्रवर्ण कोनियंत्रण हेतु रोगरोधी प्रजातियों कीबुवाई करनी चाहिएरोगी पौधों कोउखाड़ देना चाहिएया मिथायल डिमेटान 25 .सी1.25 लीटर 1000 लीटर पानीमें मिलाकर छिडकावकरना चाहिए याडाईमिथोयेट 30 .सी1 लीटर प्रति हेक्टेयर छिडकाव1000 लीटर पानी केसाथ करना चाहिए।सुत्रक्रमि के नियंत्रणहेतु 10 किलोग्राम फोरेट 10 जी. बुवाई के पूर्वप्रयोग करे अथवानीम की खाली15 से 20 कुंतल प्रति हेक्टेयरकी दर सेप्रयोग करना चाहिए।

कीट प्रबंधन

सोयाबीन की फसलमें कौन-कौनसे कीट लगनेकी संभावना होतीहै और उनपर हम किसतरह से नियंत्रणस्थापित करे?
सोयाबीन में कईतरह के कीटलगते है जैसेकी फली छेदककीट, ग्रीन सेमीलूपकीट, बिहार सेमीसूंडी, गार्डन बीटल आदिलगते है। इनकेनियंत्रण हेतु अवरोधीप्रजातियों को प्रयोगकरना चाहिए। रसायनोंका प्रयोग करनाचाहिए जैसे कीक्लोरपयारिफोस 20 .सी. 1.5 लीटर या क्युनालफास25 .सी. 1.5 लीटरप्रति हेक्टेयर 1000 लीटरपानी में मिलाकरछिडकाव करना चाहिएइससे कीटों कानियंत्रण होता है।

फसल कटाई

सोयाबीन की फसलमें कटाई औरमड़ाई का सहीसमय क्या है, कैसे करनी चाहिए?
सोयाबीन की फलियाँपककर पूरी तरहसे पौधा सहितसूख जावे तभीकटाई करनी चाहिए।इसके पश्चात भीखेत में हीदो-तीन दिनडालकर सूखने परमड़ाई करनी चाहिए।

पैदावार

सोयाबीन की फसलमें लगभग प्रतिहेक्टेयर कितनी उपज प्राप्तहोने की संभावनाहोती है?

सामान्य रूप से25 से 30 कुंतल प्रति हेक्टेयरउपज प्राप्त होतीहै लेकिन कुछऐसी भी प्रजातियाँहै जिनकी उपजअधिक भी प्राप्तहोती है जैसेकी पी.के. 472, 416 एवम पी.एस.1024 व् 1042 की पैदावार30 से 35 कुंतल प्रति हेक्टेयरप्राप्त हो सकतीहै।