आंवला की खेती
आंवला एक अत्यधिकउत्पादनशील प्रचुर पोषक तत्वोंवाला तथा अद्वितीयऔषधि गुणों वालापौधा है। आवंलाका फल विटामिनसी का प्रमुखस्रोत है, तथाशर्करा एवं अन्यपोषक तत्व भीप्रचुर मात्रा में पाएजाते है। इसकेफलो को ताजाएवं सुखाकर दोनोंतरह से प्रयोगमें लाया जाताहै इसके साथही आयुर्वेदिक दवाओंमें आंवला काप्रमुख स्थान है। यहभारत का हीदेशज पौधा है।
जलवायु और भूमि
आंवला की खेतीके लिए किसतरह की भूमिएवं जलवायु कीआवश्यकता होती है?
आंवला का पौधाजलवायु एवं भूमिदोनों के प्रतिकाफी सहिष्णु होताहै इसके लिएशुष्क जलवायु उत्तममानी जाती है।आंवला एक समशीतोष्णपौधा है। सामान्यरूप से आंवलाकी खेती सभीप्रकार की भूमिमें की जासकती है उसरीलीतथा अन्य प्रकारकी बंजर भूमिजिसका पी एचमान 9.00 तक होउसमे भी इसकीखेती की जासकती है फिरभी उचित जलनिकास के साथबलुई दोमट सेमटियार दोमट भूमिजो कैल्शियम युक्तहो सर्वोतम रहतीहै।
आंवला की कौनसी उन्नतशील प्रजातियाँजिनका इस्तेमाल हमारेकिसान भाई इसकीखेती करते वक्तकरे?
आंवला की व्यवसायिकप्रजातियाँ जैसे किचकैईया, फ्रांसिस ,कृष्णा, कंचन,बलवंत आंवला ,नरेन्द्र आंवला-4, 6 एवं 7 तथा गंगाबनारसी, प्रमुख प्रजातियाँ हैइनमे से किसीएक प्रजाति काचुनाव कर सकतेहै।
खेत की तैयारी
आंवला की रोपाईहेतु गड्ढ़े कीखुदाई एवं भराईहमें किस प्रकारकरनी चाहिए ?
उसर भूमि मेंगड्ढो की खुदाई8 से 10 मीटर कीदूरी पर 1.00 - 1.25 मीटरआकर के गड्ढेखोद लेना चाहिएयदि कड़ी परतकंकड़ की तहहो तो उसेखोदकर अलग करदेना चाहिए। अन्यथाबाद में पौधोंकी वृद्धि परप्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैगड्ढो को बरसातमें पानी सेभर देना चाहिएप्रत्येक गड्ढे में 50 से60 किलो गोबर कीखाद 15 से 20 किलो ग्रामबालू 8 से 10 किलो ग्रामजिप्सम तथा 6 किलो ग्रामपाईराइट मिलाना चाहिए। गड्ढाभरते समय 50 से100 ग्राम क्लोरोपाईरीफास धूल भीभरनी चाहिए गड्ढेभराई के 15 -20 दिनबाद ही पौधेका रोपण कियाजाना चाहिए सामान्यभूमि में 40-50 किग्रासड़ी गोबर कीखाद 100 ग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश का मिश्रण15:15 में देना आवश्यकहै इसके अलावा250 से 500 ग्राम नीम कीखली तथा साथमें 100 -150 ग्राम क्लोरोपाईरिफास डस्टमिलाना अनिवार्य है। गड्ढेजमीन की सतहसे 15-20 सेमी० ऊँचाई तकभरना चाहिए।
पौधशाला
आवंला के पौधोंकी रोपाई कैसेकी जाती है?
भूमि की दशाके अनुसार गड्ढोकी तैयारी करकेसीधे 3 से 4 आंवलेका बीज अथवापालीथीन में तैयारबीजू पौधो कोरोपित करना चाहिए।
पोषण प्रबंधन
मआवंला की खेतीहेतु खाद औरउर्वरको का प्रयोगकितनी मात्रा मेंचाहिए और कबकरना चाहिए ?
आवंला की फसलमें प्रति वर्ष100 ग्राम नाइट्रोजन 60 ग्राम फास्फोरस तथा75 ग्राम पोटाश प्रति पेड़के हिसाब सेदेते रहना चाहिए।इसी तरह सेप्रतेक वर्ष पर100 ग्राम नाइट्रोजन 60 ग्राम फास्फोरस तथा75 ग्राम पोटाश बढ़ाकर प्रतिपेड़ देते रहनाचाहिए। इसके साथही ऊसर भूमिमें जिंक कीकमी के लक्षणदिखाई पड़ते हैअत:2-3 वर्ष उर्वरकोके साथ 250 से500 ग्राम जिंक सल्फेटफलत वाले पौधोमें देना चाहिए।
जल प्रबंधन
आंवला में सिचाई, निराई और गुड़ाईका सही समयक्या है?
आंवला के नवरोपित बागो मेंगर्मिया में 10 दिन केअन्तराल पर तथाजाड़े में एकमाह के अन्तरालपर पेंड़ो कीसिचाई करते रहनाचाहिए पौधों केबड़े हो जानेपर बागो मेंमई जून माहमें एक बारपानी देना आवश्यकहै फूल आतेसमय बागो मेंकिसी भी तरहसे पानी नहींदेना चाहिए टपकविधि (ड्राप इरीगेशन) से बंजर भूमिमें सिचाई करनीचाहिए शुरू मेंआवंला के बगीचोंमें बीच कीजगह में कोईफसल ली जासकती है सिचाईके बाद निराईगुड़ाई करना अतिआवश्यक रहता हैजिससे भूमि मुलायमरहे तथा खरपतवारन उग सकेपेड़ बड़े होनेपर कुदाल सेगुड़ाई करनी चाहिएऔर घास एवंखरपतवार से साफरखना चाहिए।
रोग प्रबंधन
आवंला की फसलमें कौन कौनसे रोग लगतेहै तथा उनकानियंत्रण किस प्रकारकरे ?
आवंला में उतकक्षय रोग तथारस्ट बीमारी लगतीहै। इनके नियंत्रणके लिए 0.4 -0.5 % बोरेक्सका छिडकाव प्रथमअप्रैल में द्वितीयजुलाई एवं तृतीयसितम्बर में उतकक्षय हेतु करनाचाहिए तथा रस्टनियंत्रण हेतु 0.2% डाईथेन जेड78 या मैनकोजेब काछिडकाव 15 दिन केअन्तराल पर करनाचाहिए।
आंवला की फसलमें कौन कौनसे कीट लगतेहै और उनकानियंत्रण किस प्रकारकरे ?
आंवला में छालखाने वाले पत्तीखाने वाले तथाशूटगाल मेकर कीटप्रमुख है। इनकेनियंत्रण हेतु छालवाले कीट केलिए मेटासिसटाक्स याडाईमिथोएट तथा 10 भाग मिटटीका तेल मिलकररुई भोगोकर तनाके छिद्रों मेंडालकर चिकनी मिटटीसे बन्द करदेना चाहिए। पत्तीकीट हेतु 0.5 मिलीलीटर फ़स्फ़ोमिडान प्रतिलीटर पानी मेंघोलकर छिडकाव करनाचाहिए। तथा शूटगालमेकर हेतु 1.25 मिली०मोनोक्रोटोफास या 0.6 मिली० फ़स्फ़ोमिडानप्रति लीटर पानीमिलकर छिडकाव करनाचाहिए।
फसल कटाई
जब आंवले की फसलतैयार हो जातीहै तो उसमेफलत प्रक्रिया कैसेशुरू होती हैऔर उसके बादफलो की तुड़ाईकब करे औरकिस प्रकार करे?
आंवला की कलामीबाग में पौधोंसे तीसरे चौथेसाल से फलतशुरू हो जातीहै आंवला काफल नवम्वर -दिसंबरमें पककर तैयारहोता शुरू मेंपौधों में फलकम आते हैजब पौधा विकसितहो जाता हैतो फल अच्छीतरह से अधिकआते है फलपूरे बढकर तैयारहोने पर उनकारंग हल्का पीलाहो जाता हैतब फल तोड़नेलाइक हो जातेहै फलो कोहाथ से यारस्सी की जालीबनाकर डंडे मेंबाधकर तोड़ते हैफल जमीन परनही गिरने देनाचाहिए और किसीभी तरह सेफल चोटल नही होने चाहिएचोट लगाने परफल सड़ जाताहै इन बातोका ध्यान फलोंकी तुडाई मेंरखना अति आवश्यकहै।
आंवले के पेड़ोसे प्रति पेड़कितनी पैदावार होतीहै, अगर हमबात करे प्रतिहेक्टेयर के तोकितनी पैदावार होतीहै?
पूर्ण रूप सेविकसित एक पौधेसे 2.5 से 3.00 कुंतल फलप्राप्त होते है, तथा 150 से 200 कुंतल प्रतिहैक्टर फल प्राप्तहोते है।