मिर्च की खेती

परिचय

मिर्च बहुत ही उपयोगी फसल है इसको हरी खाने के रूप में मसाले तथा अचार के रूप  में प्रयोग करते है, इसकी खेती जायद एवं खरीफ दोनों फसलो में की जाती हैI

प्रजातियाँ

मिर्च की कौन कौन सी उन्नत शील प्रजातियाँ है?
मिर्च की फसल में दो तरह की प्रजातियाँ है, जैसे की पूसा ज्वाला, पन्त सी.-1 ,पूसा सदाबहार, जी-4 ,आजाद मिर्च-1, चंचल, कल्यानपुर चमन, आदि है, दूसरी है संकर प्रजातियाँ तेज्व्स्नी, आग्नि, चेम्पियन, ज्योति एव सूर्या आदिI

उपयुक्त भूमि

मिर्च  की खेती के लिए किस प्रकार भूमि व जलवायु की आवश्यकता होती है?
इसके पौधे के वृद्धि के लिए नम एवं गर्म मौसम में ठंडक होना चाहिए, भूमि अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट या दोमट भूमि उपयुक्त होती हैI

खेत की तैयारी

 मिर्च की खेती के लिए खेत की तैयारी किस तरह से करे?
पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करनी चाहिए इसके बाद २-३ जुताई कल्टीवेटर से करके खेत को हम पाटा लगा  कर हम भुर भूरा बना लेते है I

बीज बुवाई

बीज की मात्राऔर उसका शोधन हम किस तरह से करे?
सामान्य प्रजातियाँ जिसमे बीज की मात्रा ८००से १००० ग्राम प्रति हेक्टर के हिसाब से लगती है, दूसरी संकर प्रजातियाँ है जिनकी २०० से २५० ग्राम प्रति हेक्टर के हिसाब से लगती है, बीज शोधन के लिए २ ग्राम थीरम प्रति किलो ग्राम के हिसाब से उपचारित कर लेना चाहिए I
अब बारी आती है मिर्च के वुवाई और उसके रोपाई की तो यह हमें कब और कितने दिन बाद करनी चाहिए बीज शोधन करने के पश्चात मई कौर जून में पौध डालनी चाहिएI जब हमारी पौध 20 से 25 दिन की हो जाए तब रोपाई करनी चाहिएI
मिर्च की फसल की रोपाई हमें कितनी दुरी पर करनी चाहिए ?
सामान्य प्रजातियों की रोपाई ४५ सेंटी मीटर लाइन  से लाइन ४५ सेंटी मीटर पौध से पौध की दुरी पर करते है तथा संकर प्रजातियों की रोपाई ६० सेंटी मीटर लाइन  से लाइन ४५ सेंटी मीटर पौध से पौध की दुरी रखते हैI

जल प्रबंधन

मिर्च की खेती के लिए सिचाई किस प्रकार और कब करे?
रोपाई के पश्चात हल्की सिचाई करना आति आवश्यक है इसके एक सप्ताह बाद सिचाई क्योकि यह वर्षा ऋतू की फसल है इसलिए इसमें सिचाइयो की आवश्यकता कम पड़ती है, जब जब आवश्यकता पड़े तब तब सिचाई करनी चाहिए  I

पोषण प्रबंधन

मिर्च की खेती के लिए खाद एव् उरवर्क की मात्रा कितनी और कब प्रयोग करे?
खेत को तैयार करते समय २०० से २५० कुन्तल सड़ी कम्पोस्ट या गोबर की खाद को आखिरी जुताई में मिला देना चाहिए लेकिन इस पर भी तत्व के रूप में ८० किलो ग्राम नाइट्रोजन ६० किलो ग्राम फास्फोरस ६० किलो ग्राम पोटाश देना आती आवश्यक है रोपाई से पहले आखिरी जुताई के समय आधी नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय मिला देना चाहिए शेष नाइट्रोजन की मात्रा खड़ी फसल में दो बार में देना चाहिए I

खरपतवार प्रबंधन

खरपतवार का निराकरण हम कैसे करे?
रोपाई करने के बाद एक हप्ते बाद सिचाई करते है, ओट आने के बाद निराई गुड़ाई कर देनी चाहिए, जिससे की खरपतवार हमारी फसल में न रहे और आवश्यकता पड़ने पर 15 से 20 दिन पर निराई गुड़ाई करके खेत को खरपतवार से साफ रखना चाहिए

रोग प्रबंधन

 मिर्च की फसल में रोग उत्पन हो जाते है या कीट लग जाते है उनकी सुरछा हम किस प्रकार से करे?
मिर्च की फसल में मोजेक बहुत ज्यादा लगता है , जिसे हम लीफ कर्ल के नाम से पुकारते है ,यह मोजेक वाइट फलाई सफ़ेद मख्खी से फैलता है ,इसके नियंत्रण के डाइथेनियम ४५ अथवा  डाइथेनियम जेड ७८ तथा मेटा सिसटक १ लीटर प्रति हेक्टर के हिसाब से खड़ी फसल  में छिडकाव करना चाहिए इसके बचाव के लिए लगातार १० से १५ दिन पर छिडकाव करते रहना चाहिए जिससे की हमारी फसल अच्छी पैदावार दे सके

फसल कटाई

मिर्च की फसल हमारी तैयार हो जाती है ,तो उसकी तोड़ाई हमें कब और कितनी बार करनी चाहिए ?
इसकी फसल हम दो तरह से पैदा करते है ,एक तो हरी फसल हरी फलियाँ बेचने के लिए दूसरा मसाले के लिए फलियाँ तैयार करते है हरी फसल जब लेना है ३ से४ बार तोड़ाई करना आति आवश्यक है मसाले के लिए जब हम पैदा करते है तो १ से२ बार तोड़ाई करते है I

पैदावार

मिर्च की फसल से प्रति हेक्टर कितनी उपज प्राप्त की जा सकती है?
सामान्य प्रजातियाँ में 100 से 125 कुन्तल प्रति हेक्टर के हिसाब से हरी मिर्च मिलती है, दूसरी संकर प्रजातियाँ में 125 से 150 कुन्तल के हिसाब से हरी मिर्च पैदा होता हैI