सावा की खेती

परिचय

सांवा की फसलभारत की एकप्राचीन फसल हैयह सामान्यतः असिंचितक्षेत्रो में बोईजाने वाली सूखाप्रतिरोधी फसल है।असिंचित क्षेत्रो में बोईजाने वाली मोटेअनाजों में इसकामहत्वपूर्ण स्थान है। इसमेपानी की आवश्यकताअन्य फसलो कीअपेक्षा काम पड़तीहै। सांवा काउपयोग चावल कीतरह किया जाताहै। इसका हआचारा पशुओ कोबहुत ही पसंदआता है। इसमेचावल की तुलनामें पोषक तत्वोंके साथ-साथप्रोटीन की पाचनयोग्यता 40 प्रतिशत तक होतीहै।

जलवायु और भूमि

सांवा की खेतीके लिए जलवायुएवं भूमि किसप्रकार की होनीचाहिए?
सामान्यतः सांवा की फसलकाम उपजाऊ वालीमिट्टी में बोईजाती है। इसेआंशिक रूप सेनदियों के किनारेकी निचली भूमिमें भी उगायाजा सकता है।लेकिन इसके लिएबलुई दोमट एवंदोमट भूमि सर्वाधिकउपयुक्त होती है।सांवा के लिएहल्की नम व्उष्ण जलवायु उपयुक्तहोती है। यहएक खरीफ मौसमकी फसल है।

प्रजातियाँ

सांवा की उन्नतशीलप्रजातियां कौन-कौनसी पाई जातीहै?
सांवा की बहुतसी प्रचलित प्रजातियांहै जैसे कीटी.46, आई. पी.149, यु.पी.टी.8, आई.पी.एम.97, आई.पी.एम.100, आई.पी.एम.148, आई.पी.एम.151 आदि है।

खेत की तैयारी

सांवा की फसलके लिए खेतकी तैयारी किसप्रकार से करनीचाहिए?
मानसून प्रारम्भ होने सेपहले खेत कीजुताई करना आवश्यकहै वर्षा शुरूहोने पर पहलीजुताई मिट्टी पलटनेवाले हल सेतथा दो-तीनजुताई कल्टीवेटर यादेशी हल सेकरके खेत कोभुरभुरा बना लेनाचाहिए। पहली जुताईमें 50 से 100 कुंतल कम्पोस्टखाद प्रति हेक्टेयरकी दर सेभली भांति मिलादेना चाहिए।

बीज बुवाई

सांवा की फसलमें बीज कीमात्रा प्रति हेक्टेयर कितनीलगती है तथाबीज शोधन हमेंकिस प्रकार करनाचाहिए?
अच्छी गुणवत्तायुक्त 8 से 10 किलोग्राम बीजप्रति हेक्टेयर केहिसाब से बोनाचाहिए। यदि बीजउपचारित नहीं हैतो 2.5 ग्राम थीरम प्रतिकिलोग्राम की दरसे बीज उपचारितकर लेना चाहिए।
सांवा की फसलकी बुवाई हमेंकिस विधि सेतथा किस समयकरनी चाहिए?
सांवा की बुवाईका उत्तम समय15 जून से 15 जुलाई तकहै मानसून प्रारम्भहोने पर इसकीबुवाई कर देनाचाहिए। इसकी बुवाईज्यादातर छिटकवा विधि सेकरते है। लेकिनबुवाई कूड़ बनाकरतीन से चारसेंटीमीटर की गहराईपर करनी चाहिए।कुछ स्थानो पररोपाई भी करतेहै लाइन सेलाइन की दूरी25 सेंटीमीटर रखते है।

पोषण प्रबंधन

सांवा की फसलमें खाद एवंउर्वरको का प्रयोगकिस प्रकार करनाचाहिए तथा कितनीमात्रा में करनाचाहिए?
50 से 100 कुंतल कम्पोस्ट खादके साथ-साथनत्रजन 40 किलोग्राम, फास्फोरस 20 किलोग्रामतथा पोटाश 20 किलोग्रामतत्व के रूपमें प्रति हेक्टेयरदेना चाहिए। फास्फोरसएवं पोटाश कीपूरी मात्रा तथानत्रजन की आधीमात्रा बुवाई के पहलेतथा नत्रजन कीआधी मात्रा 25 से30 दिन बुवाई के बादखड़ी फसल मेंदेना चाहिए।

जल प्रबंधन

सांवा की फसलमें कब तथाकैसे सिंचाई करनीचाहिए?
सामान्यतः सांवा की खेतीमें सिंचाई कीआवश्यकता नहीं पड़तीहै क्योकि यहखरीफ अर्थात वर्षाऋतू की फसलहै लेकिन काफीसमय तक जबपानी नहीं बरसताहै तो फूलआने की अवस्थामें एक सिंचाईकरना अति आवश्यकहै। जल भरावकी स्थिति वालीभूमि में जलनिकास होना आवश्यकहै।

खरपतवार प्रबंधन

सांवा की फसलमें निराई-गुड़ाईकब करनी चाहयेतथा खरपतवारो परनियंत्रण हमें कैसेकरना चाहिए?
सामान्यतः सांवा में दोनिराई-गुड़ाई पर्याप्तहोती है पहली निराई-गुड़ाई25 से 30 दिन बादतथा दूसरी पहलीके 15 दिन बादकरना चाहिए निराई-गुड़ाई करते समयविरलीकरण भी कियाजाता है।

रोग प्रबंधन

सांवा की फसलमें कौन-कौनसे रोग लगतेहै तथा उनकानियंत्रण कैसे करनाचाहिए?
सांवा में तुलसित, कंडुवा, रतुआ यागेरुई रोग लगतेहै। रोगग्रस्त पौधोंको उखाड़कर अलगकर देना चाहिएतथा मैन्कोजेब 75% डब्लू. पी. को 2 किलोग्रामप्रति हेक्टेयर कीदर से छिड़कावकरना चाहिए। इसकेसाथ ही साथबीज उपचारित हीबोना चाहिए।

कीट प्रबंधन

सांवा की फसलमें कौन-कौनसे कीट लगतेहै उनका नियंत्रणहमें कैसे करनाहै?
इसमे दीमक एवंतना छेदक कीटलगते है नियंत्रणहेतु खेत मेंकच्चे गोबर काप्रयोग नहीं करनाचाहिए, बीज शोधितकरके बोना चाहिए, फोरेट 10 % सी.जी. 10 किलोग्राम या कार्बोफ्यूरान3% ग्रेन्यूल 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयरकी दर सेप्रयोग करना चाहिएअथवा क्यूनालफास 25 .सी. 2 लीटर कीदर से प्रतिहेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।

फसल कटाई

सांवा की फसलमें कटाई एवंमड़ाई कब करनीचाहिए?
सांवा की फसलपकाने पर हीकटाई हसिया द्वारापौधे सहित करनीचाहिए। इसके छोटे-छोटे बण्डलबनाकर खेत मेंही एक सप्ताहतक धूप मेंअच्छी तरह सुखाकरमड़ाई करनी चाहिए।

पैदावार

सांवा की फसलमें प्रति हेक्टेयरकितनी पैदावार याउपज प्राप्त होतीहै?

इसकी पैदावार में दाना12 से 15 कुंतल प्रति हेक्टेयरतथा भूसा 20 से25 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्तहोता है।