मूंगफली की ेती



परिचय

मूंगफली खरीफ एवं जायद दोनों मौसम की फसल हैI खरीफ की मुख्य तिलहनी फसल है, यह वायु तथा वर्षा द्वारा भूमि कटने से बचाती हैI इसमे प्रोटीन 22 से 28% कार्बोहाइड्रेट 10 से 12% तथा वसा 48 से 50% पाई जाती है, यह मुख्यता झाँसी, हरदोई, सीतापुर, खीरी, उन्नाव, बरेली, बदायूं, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, एवं सहारनपुर के अधिक क्षेत्रफल में उगाई जाती हैI अधिक वर्षा होने के कारण खरीफ में उत्पादन कम हो गया है, और ग्रीष्म अर्थात जायद में इसका उत्पादन बढ़ता जा रहा हैI

उपयुक्त भूमि

मूंगफली की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है?
मूंगफली की खेती खरीफ एवं जायद दोनों मौसम की जाती हैI जहाँ पर अधिक वर्षा होती है, वहां पर खास कर जायद में ही खेती हो रही है, इसके लिए शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है, मूंगफली की खेती के लिए दोमट बलुअर, बलुअर दोमट या हल्की दोमट भूमि अच्छी रहती है, जायद में मूंगफली की फसल के लिए भरी दोमट भूमि का चुनाव नहीं करना चाहिएI यह आलू, मटर, सब्जी मटर, एवं राई की कटाई के बाद खाली भूमि में सफलता पूर्वक की जा सकती हैI

प्रजातियाँ

कौन सी उन्नतशील प्रजातियाँ है, जिनका इस्तेमाल हमें मूंगफली की खेती में करना चाहिए?
खरीफ एवं जायद की अलग अलग प्रजातियाँ पायी जाती है, खरीफ के लिए प्रजातियाँ - चन्द्रा, चित्रा, कौशल, प्रकाश, अम्बर, उत्कर्ष, टाइप-64, टाइप-28 एवं टी.जी.37 ए. है, ये खरीफ में उत्पादन के लिए उत्तम पाई जाती हैI इसी प्रकार से जायद के लिए जो प्रजातियाँ है- डी.एच.-86,आई.सी.जी.एस-44,आई.सी.जी.एस.-1,आर-9251,टी.जी.37ए.,आर-8808 ये प्रजातियाँ सफलतापूर्वक इस समय जायद के फसल में उगाई जा रही हैI

खेत की तैयारी

मूंगफली की खेती में किस तरह से अपने खेतो की तैयारी करे ?
जायद में मूंगफली की खेती हेतु खेत की तैयारी अच्छी तरह करनी चाहिएI यदि मटर या राई की कटाई के बाद खेती की जा रही है, तो उन खेतो की एक गहरी जुताई के बाद दो-तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करके भुरभुरा बना लेना चाहिएI जायद में आखिरी जुताई के बाद पाटा लगा कर खेत को समतल बना लेना चाहिएI जिससे की पानी लगाने में सुविधा रहे और सभी जगह पानी सफलता से लगाया जा सकेI

बीज बुवाई

मूंगफली की फसल की बुवाई कब और किस विधि से करना चाहिए?
खरीफ में बुवाई 20 जून से 15 जुलाई तक अवश्य कर लेना चाहिए तथा खरीफ में लाइन से लाइन बुवाई की दूरी 40 से 45 सेमी० एवं पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 सेमी० रखनी चाहिए, इसी प्रकार से जायद में बुवाई 5 मार्च से 10 मार्च तक अवश्य कर लेना चाहिए, जिससे की फसल अच्छी पैदावार दे सकेI बुवाई लाइनों में करना चाहिए, लाइन से लाइन की दूरी 25 से 30 सेमी० एवं पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 सेमी० रखनी चाहिएI
मूंगफली की बुवाई में बीज की मात्रा प्रति हैक्टर कितनी डालनी चाहिए और बीजो का शोधन हमारे किसान भाई किस प्रकार करे?
मौसम के आधार पर बीज की मात्रा अलग अलग रहती है, खरीफ की फसल में 90-95 किग्रा प्रति हैक्टर बुवाई में लगता है, जायद की फसल में 95-100 किग्रा प्रति हैक्टर बीज बुवाई में लगता हैं बोने से पहले बीज (गिरी) को थीरम 2 ग्राम और 1 ग्राम 50% कार्बेन्डाजिम के मिश्रण को 2 ग्राम प्रति किग्रा० बीज की दर से शोधित करना चाहिएI अथवा 1.5 ग्राम थायोफिनेटमिथाइल प्रति किग्रा बीज की दर से शोधित करना चाहिए, इस शोधन के 5-6 घण्टे बाद बोने से पहले बीज को मूंगफली के विशिष्ट राइजोवियम कल्चर से उपचारित कर लेना चाहिए, एक पैकेट 250 ग्राम का कल्चर 10 किग्रा बीज के लिए प्रर्याप्त होता है आधा लीटर पानी एवं 50 ग्राम गुड को घोलकर कल्चर में मिलकर 10 किग्रा बीज में मिला देना चाहिए, इस तरह उपचारित करके के बाद बीज को 2-3 घण्टे सूखाकर, बीज की बुवाई सुबह 10 बजे से पहले या 4 बजे के बाद करनी चाहिएI

पोषण प्रबंधन

उर्वरको का प्रयोग कितनी मात्रा में करना चाहिए और कब करना चाहिए?
यदि जायद की फसल के बाद मूगंफली की खेती की जा रही हो तो 100 से 150 कुन्तल सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद खेत की तैयारी करते समय आखिरी जुताई में डालकर अच्छी तरह से मिला देना चाहिए, लेकिन फिर भी 20 किलो ग्राम नत्रजन 30 किलो फास्फोरस तथा 45 किलो पोटाश तत्व के रूप में तथा 300 किलोग्राम प्रति हैक्टर जिप्सम डालना अति आवश्यक है, नत्रजन फास्फोरस एवम पोटाश की पूरी मात्रा तथा जिप्सम की आधी मात्रा वुवाई के समय कुडो में बीज के नीचे 2-3 सेमी० गहराई पर चोंगा या नाई से डालना चाहिए, जिप्सम की शेष आधी मात्रा मूंगफली में फूल आने की अवस्था में ट्रापड्रेसिग के रूप में डालना चाहिए ट्रापड्रेसिग द्वारा जिप्सम देने के बाद खुरपी से खेत में मिला देना चाहिएI

जल प्रबंधन

मूंगफली की फसल में सिचाई कितनी करनी चाहिए और कब-कब करनी चाहिए?
खरीफ की फसल में वर्षा न होने पर दो सिचाईयां करना आवश्यक है, पहली खुटियाँ (पेगिंग) बनाते समय तथा दूसरी फली बनाते समय करना चाहिएI जब की जायद की फसल में 4-5 सिचाई करना अति आवश्यक हैI पहली सिचाई जमाव पूर्ण होने पर और सुखी गुड़ाई के 20 दिन बाद दूसरी सिचाई 35 दिन बाद तीसरी सिचाई 50 से 55 दिन बाद कहती पेगिंग बनने पर साथ ही हर समय नमी रहने हेतु गहरी सिचाई करनी चाहिएI चौथी सिचाई फलियाँ बनते समय 70-75 दिन बाद तथा पाचवी सिचाई दाना बनने के बाद दाना भरते समय करना अति आवश्यक हैI

खरपतवार प्रबंधन

मूंगफली की फसल के लिए खेतो की निराई गुड़ाई कब करना चाहिए और खरपतवार का नियंत्रण किस प्रकार करे?
बुवाई के 15 दिन बाद पहली एवम बुवाई के 35 दिन बाद दूसरी तथा जिप्सम बुरकाव के बाद अवश्य है की निराई-गुडाई करें खुटियाँ (पेगिंग) बनते समय निराई -गुड़ाई नहीं करना चाहिएI साथ ही खरपतवार भी नियंत्रण अति आवश्यक हैंI अच्छी पैदावार लेने के लिए निराई-गुडाई, खरपतवार निकलना बहुत ही आवश्यक हैI रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण हेतु पेंडीमिथिलिन 30 ई सी की 3.3 लीटर या एलाक्लोर 50 ई सी की 4 लीटर मात्रा प्रति हैक्टर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 2-3 दिन तक तथा बीज जमाव से पहले छिडकाव करना अति आवश्यक हैंI इससे खरपतवारो का जमाव नहीं होता हैI

रोग प्रबंधन

मूंगफली की खेती में कौन कौन से रोग लगते हैं, एवं उनका नियंत्रण हमें किस प्रकार करना चाहिए?
मूंगफली में कई रोग लगते हैंI जैसे क्राउन राट, डाई रूट या चार कोल राट, बड नेक्रोसिस एवं टिक्का रोग है, रोकथाम के लिए डाईमेथोएट 30 ई. सी. एक लीटर प्रति हैक्टर की दर से छिडकाव करना चाहिएI इसके अलावा जिनेब 75% घुलनशील चूर्ण 2.5 किग्रा अथवा जीरम 27% तरल तीन लीटर प्रति हैक्टर की दर से 2-3 छिडकाव 10 दिन के अन्तराल पर करना चाहिएI

कीट प्रबंधन

मूंगफली की खेती में कौन-कौन से कीट लगते हैं और उनका नियंत्रण हमें किस प्रकार करना चाहिए?
मूंगफली की खेती में कई कीट लगते हैंI जैसे सफ़ेद गिडार, दीमक, हेयरी कैटरपिलर जैसिड एवं फलीवेधक है फलीवेधक एवम अन्य कीटों की रोकथाम के लिए बुवाई के पूर्व में लिन्डेन 1.3% चूर्ण को 25 से 30 किग्रा अथवा सेबीडाल दानेदार 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्टर की दर से मिटटी में मिलाना चाहिए फोरेट 10 जी को को 20 से 25 किग्रा प्रति हैक्टर की दर से बुवाई के समय कुडो में डालना चाहिएI दीमक के प्रकोप को रोकने के लिए क्लोरपायरिफास या क्यूनालफास 20 ई. सी. की 4 लीटर मात्रा प्रति हैक्टर की दर से सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करनी चाहिएI

फसल कटाई

मूंगफली की फसल की खुदाई कब और किस प्रकार करनी चाहिए?
खुदाई तभी फसल की करनी चाहिए जब मूंगफली के छिलके के ऊपर नसे उभर आवे तथा भीतर का भाग कत्थई रंग का हो जाये और मूंगफली का दाना गुलाबी रंग का हो जाये उसी समय खुदाई करनी चाहिए खुदाई करते समय ध्यान रहे की पौधा सीधा रखे पलट कर कड़ी धुप में नहीं रखना चाहिएI अहम् बात यह है कि 70 से 80% फलियाँ पकाने के बाद ही खुदाई की जाय तो नुकसान नहीं होता हैI खुदाई के बाद जब फसल प्राप्त कर लेते है, तो उसको सुखाना अति आवश्यक हैI सुखाई में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फलियों की सुखाई पेड़ो की छाया में करें धुप में धुप में सुखाने पर जमाव प्रतिशत कम हो जाता है यदि पेड़ों की छाया नहीं है तो मूंगफली की तुड़ाई सांय 4 बजे के बाद छाया में करनी चाहिए जिससे जमाव प्रतिशत मूंगफली का कम न हो सकेI
मूंगफली की फसल तैयार होने के पश्चात उसका भण्डारण किस प्रकार करे?
मूंगफली की खुदाई के बाद फलियाँ को छाया में अच्छी तरह सुख कर ही भण्डारण करना चाहिए यदि गीली मूंगफली भण्डारण किया जाता है तो फलियाँ काले रंग की पड जाती है जो की खाने एवं बीज में प्रयोग करने हेतु अनुपयुक्त हो जाती हैI और यदि जो हम बाजार उनका विक्रय करते है तो उसकी गुणवत्ता ख़राब होने के कारण पैसे भी कम प्राप्त होते हैI

पैदावार

मूंगफली की फसल से प्रति हैक्टर कितनी उपज प्राप्त हो जाती है?

मूंगफली की उपज मौसम के आधार पर अलग अलग पाई जाती है खरीफ की फसल में उपज 25 से 30 कुन्तल प्रति हैक्टर होती हैं इसी प्रकार से जायद की फसल में उपज 28 से 30 कुन्तल प्रति हैक्टर प्राप्त होती हैI