गेंदा की खेती

जलवायु और भूमि

गेंदे की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है?
उत्तर भारत में मैदानी क्षेत्रो में शरद ऋतू में उगाया जाता है तथा उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रो में गर्मियों में इसकी खेती की जाती हैI गेंदा की खेती बलुई दोमट भूमि उचित जल निकास वाली उत्तम मानी जाती है I जिस भूमि का पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है वह भूमि खेती के लिए अच्छी मानी जाती हैI

प्रजातियाँ

गेंदे की खेती के लिए उन्नतशील प्रजातियां कौन-कौन सी है?
गेंदा की चार प्रकार की किस्मे पायी जाती है प्रथम अफ्रीकन गेंदा जैसे कि क्लाइमेक्स, कोलेरेट, क्राउन आफ गोल्ड, क्यूपीट येलो, फर्स्ट लेडी, फुल्की फ्रू फर्स्ट, जॉइंट सनसेट, इंडियन चीफ ग्लाइटर्स, जुबली, मन इन द मून, मैमोथ मम, रिवर साइड ब्यूटी, येलो सुप्रीम, स्पन गोल्ड आदि हैI ये सभी व्यापारिक स्तर पर कटे फूलो के लिए उगाई जाती हैI दूसरे प्रकार की मैक्सन गेंदा जैसे कि टेगेट्स ल्यूसीडा, टेगेट्स लेमोनी, टेगेट्स मैन्यूटा आदि है ये सभी प्रमुख प्रजातियां हैI तीसरे प्रकार की फ्रेंच गेंदा जैसे कि बोलेरो गोल्डी, गोल्डी स्ट्रिप्ट, गोल्डन ऑरेंज, गोल्डन जेम, रेड कोट, डेनटी मैरिएटा, रेड हेड, गोल्डन बाल आदि हैI इन प्रजातियों का पौधा फ़ैलाने वाला झड़ी नुमा होता हैI पौधे छोटे होते है देखने में अच्छे लगते हैI चौथे संकर किस्म की प्रजातिया जैसे की नगेटरेटा, सौफरेड, पूसा नारंगी गेंदा, पूसा बसन्ती गेंदा आदिI

खेत की तैयारी

गेंदे की खेती में खेत की तैयारी कैसे करे और उसमे पौध किस प्रकार डाले?
गेंदे के बीज को पहले पौधशाला में बोया जाता हैI पौधशाला में पर्याप्त गोबर की खाद डालकर भलीभांति जुताई करके तैयार की जाती हैI मिट्टी को भुरभुरा बनाकर रेत भी डालते है तथा तैयार खेत या पौधशाला में क्यारियां बना लेते हैI क्यारियां 15 सेंटीमीटर ऊंची एक मीटर चौड़ी तथा 5 से 6 मीटर लम्बी बना लेना चाहिएI इन तैयार क्यारियो में बीज बोकर सड़ी गोबर की खाद को छानकर बीज को क्यारियो में ऊपर से ढक देना चाहिएI तथा जब तक बीज जमाना शुरू न हो तब तक हजारे से सिंचाई करनी चाहिए इस तरह से पौधशाला में पौध तैयार करते हैI

बीज बुवाई

गेंदे की खेती में बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है और पौध डालने का उचित समय कौन सा है?
गेंदे की बीज की मात्रा किस्मों के आधार पर लगती हैI जैसे कि संकर किस्मों का बीज 700 से 800 ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा सामान्य किस्मों का बीज 1.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता हैI भारत वर्ष में इसकी बुवाई जलवायु की भिन्नता के अनुसार अलग-अलग समय पर होती हैI उत्तर भारत में दो समय पर बीज बोया जाता है जैसे कि पहली बार मार्च से जून तक तथा दूसरी बार अगस्त से सितम्बर तक बुवाई की जाती हैI

पौधरोपण

गेंदे की पौध की रोपाई किस विधि से करते है?
गेंदा के पौधों की रोपाई समतल क्यारियो में की जाती है रोपाई की दूरी उगाई जाने वाली किस्मों पर निर्भर करती हैI अफ्रीकन गेंदे के पौधों की रोपाई में 60 सेंटीमीटर लाइन से लाइन तथा 45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी रखते है तथा अन्य किस्मों की रोपाई में 40 सेंटीमीटर पौधे से पौधे तथा लाइन से लाइन की दूरी रखते हैI

पोषण प्रबंधन

गेंदे की खेती में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग कब करना चाहिए और कितनी मात्रा में करना चाहिए?
250 से 300 कुंतल सड़ी गोबर की खाद खेत की तैयारी करते समय प्रति हेक्टेयर की दर से मिला देना चाहिए इसके साथ ही अच्छी फसल के लिए 120 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हेक्टेयर देना चाहिएI फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी करते समय अच्छी तरह जुताई करके मिला देना चाहिएI नत्रजन की आधी मात्रा दो बार में बराबर मात्रा में देना चाहिएI पहली बार रोपाई के एक माह बाद तथा शेष रोपाई के दो माह बाद दूसरी बार देना चाहिएI

खरपतवार प्रबंधन

गेंदे की फसल में निराई और गुड़ाई करने का सही समय क्या है?
गेंदा के खेत को खरपतवारो से साफ़ सुथरा रखना चाहिए तथा निराई-गुड़ाई करते समय गेंदा के पौधों पर 10 से 12 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए जिससे कि पौधे फूल आने पर गिर न सकेI

रोग प्रबंधन

गेंदे की फसल में कौन-कौन से रोग लगने की सम्भावना होती है और उसके नियंत्रण हेतु हमें क्या उपाय करने चाहिए?
गेंदा में आर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग तथा मृदु गलन रोग लगते हैI आर्ध पतन हेतु नियंत्रण के लिए रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिएI खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिएI विषाणु एवं गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिएI

कीट प्रबंधन

गेंदे की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है और उनके नियंत्रण के लिए हमें क्या उपाय करने चाहिए?
गेंदा में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते है इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन छिड़काव करना चाहिए अथवा क़यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिएI

फसल कटाई

गेंदे की फसल में तुड़ाई और कटाई कैसे करते है कब करते है?
जब हमारे खेत में गेंदा की फसल तैयार हो जाती है तो फूलो को हमेशा प्रातः काल ही काटना चाहिए तथा तेज धूप न पड़े फूलो को तेज चाकू से तिरछा काटना चाहिए फूलो को साफ़ पात्र या बर्तन में रखना चाहिएI फूलो की कटाई करने के बाद छायादार स्थान पर फैलाकर रखना चाहिएI पूरे खिले हुए फूलो की ही कटाई करानी चाहिएI कटे फूलो को अधिक समय तक रखने हेतु 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर तथा 80 प्रतिशत आद्रता पर तजा रखने हेतु रखना चाहिएI कट फ्लावर के रूप में इस्तेमाल करने वाले फूलो के पात्र में एक चम्मच चीनी मिला देने से अधिक समय तक रख सकते हैI

पैदावार

गेंदे की फसल से प्रति हेक्टेयर कितनी पैदावार या उपज प्राप्त हो सकती है?

गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है इसके साथ ही सभी तकनीकिया अपनाते हुए आमतौर पर उपज के रूप में 125 से 150 कुंतल प्रति हेक्टेयर फूल प्राप्त होते है कुछ उन्नतशील किस्मों से पुष्प उत्पादन 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होते है यह उपज पूरी फसल समाप्त होने तक प्राप्त होती हैI