ज्वार की खेती

परिचय

किसान भईयो भारतमें ज्वार मुख्यरूप से कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्राप्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान एवम उत्तरप्रदेश में उगाईजाती हैI उत्तरप्रदेश में ज्वारकी खेती मुख्यतःझांसी, हमीरपुर, जालौन, बाँदा, फतेहपुर, इलाहाबाद, फरुखाबाद, मथुराएवम हरदोई जनपदोंमें की जातीहैI ज्यादातर शुष्कक्षेत्रों में इसकीखेती की जातीहैI इसके साथही जहाँ परऔसतन कम वर्षाहोती है वहांपर ज्वार कीखेती अच्छी तरहसे की जातीहैI

जलवायु और भूमि

ज्वार की खेतीके लिए किसप्रकार की जलवायुएवम भूमि होनीचाहिए?
ज्वार की खेतीशुष्क जलवायु अर्थातकम वर्षा वालेक्षेत्रों में सफलतापूर्वककी जा सकतीहैI इसके लिएहल्की या बलुईदोमट मिट्टी उपयुक्तहोती है इसकेसाथ ही साथबुंदेलखंड जैसी कालीमिट्टी में भीकी जा सकतीहैI मध्य भारीतथा ढालू भूमिमें भी इसकीखेती की जासकती है साथही जल निकासअच्छा होना चाहिएI

प्रजातियाँ

ज्वार बोने सेपहले वह कौनसी उन्नतशील प्रजातियाँहै जिनका इस्तेमालहमें करना चाहिए?
ज्वार की दोप्रकार की प्रजातियाँपाई जाती हैप्रथम संकुल प्रजातियाँजैसे की वर्षा, बी. एस. बी. 13, बी. एस. बी. 15 , एस. पी. बी. 1388 जिसे बुन्देला भी कहतेहै, विजेता आदिहैI दूसरे प्रकारकी संकर प्रजातियाँहै जैसे कीसी. एस. एच. 9, सी. एस. एच. 13 , सी. एस. एच. 14 , सी. एस. एच. 16 , सी. एस. एच. 18 एवम सी. एस. एच. 23 हैI

खेत की तैयारी

खेत की तैयारीकिस प्रकार करेज्वार की फसलबोते वक्त?
पहली जुताई मिटटी पलटनेवाले हल सेतथा दो-तीनजुताई देशी हलया कल्टीवेटर सेकरने के बादखेत को भुरभुराबना लेना चाहिएआख़िरी जुताई में100 से 125 कुंतल सड़ी गोबरकी खाद कोखेत में तैयारीकरते समय हीअच्छी तरह सेमिला देना चाहिएI

बीज बुवाई

ज्वार की खेतीमें बीज कीमात्रा प्रति हेक्टेयर कितनीपड़ती है औरउनका शोधन हमारेकिसान भाई किसप्रकार से करे?
बीज की मात्राजैसे की संकुलप्रजातियों में 10 से 12 किलोग्रामप्रति हेक्टेयर, संकरप्रजातियों में 7 से 8 किलोग्रामप्रति हेक्टेयर बुवाईमें इसका बीजलगता हैI यदिबीज उपचारित नहींहै तो बुवाईसे पहले एककिलोग्राम बीज को2.5 ग्राम थीरम सेशोधित कर लेनाचाहिए जिससे कीजमाव अच्छा होसके साथ हीकंडवा रोग लग सकेI
ज्वार की बुवाईका सही समयक्या है औरकौन सी विधिप्रयोग में लाईजाती है?
ज्वार की बुवाईहेतु जून केअंतिम सप्ताह सेजुलाई के प्रथमसप्ताह तक कासमय आधिक उपयुक्तहोता हैI फिरभी जहाँ परवर्षा पर आधारितखेती होती हैवहां पर वर्षाप्रारम्भ होने परतुरंत कर देनीचाहिए ज्वार कीबुवाई 45 सेंटीमीटर लाईनों कीदूरी पर हलके पीछे करनीचाहिए पौधे सेपौधे की दूरी15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिएI देशी ज्वार कोअरहर के साथछिड्कवा विधि सेभी बो सकतेहै अतः देरसे पकाने वालीअरहर की दोलाईनों के बीचएक लाइन ज्वारकी बोना लाभप्रदरहता हैI

पोषण प्रबंधन

ज्वार की फसलमें खाद औरउर्वरको का प्रयोगकितनी मात्रा मेंहमारे किसान भाईकरे, कब करेऔर किस प्रकारसे करे?
100 से 125 कुंतल गोबर कीखाद खेत कीतैयारी करते समयआख़िरी जुताई मेंमिलाना चाहिएI उर्वरको काप्रयोग भूमि परीक्षणके आधार परकरना चाहिएI यदिभूमि परीक्षण नहींकराया गया हैतो संकर प्रजातियोके लिए उत्तमउपज हेतु 80 किलोग्रामनत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्रामपोटाश तथा अन्यप्रजातियों हेतु 40 किलोग्राम नत्रजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस एवम 20 किलोग्रामपोटाश प्रति हेक्टेयरप्रयोग करना चाहिएI त्रजन की आधीफास्फोरस एवम पोटाशकी पूरी मात्राखेत में बुवाईके समय कूड़ोमें बीज केनीच डालना चाहिएनत्रजन की शेषआधी मात्रा बुवाईके लगभग 30-35 दिनबाद खडी फसलमें प्रयोग करनाचाहिएI

जल प्रबंधन

ज्वार की फसलमें सिंचाई कासही समय क्याहै, कब औरकिस प्रकार करनीचाहिए?
वर्षा ऋतू कीफसल होने केकारण वर्षा काही पानी पर्याप्तहोता है लेकिनवर्षा होनेपर फसल मेंबाली या भुट्टानिकलते समय औरदाना भरते समययदि खेत मेंनमी कम होतो सिंचाई करनाअति आवश्यक हैया आवश्यकतानुसार एकया दो बारसिंचाई करनी चाहिएI

खरपतवार प्रबंधन

ज्वार में कितनीबार निराई- गुडाईकरनी चाहिए औरएस फसल मेंखरपतवारों का नियंत्रणहमारे किसान भाईकिस प्रकार करे?
ज्वार की खेतीमें निराई-गुडाईका अधिक महत्वहैI पहली निराई-गुडाई बुवाई के 15 -20 दिनबाद करनी चाहिएI दूसरी 35 से 40 दिन बादआवश्यकतानुसार करनी चाहिएI इसी प्रक्रिया मेंपहले पौधे सेपौधे की दूरीभी छटनी केद्वारा निर्धारित कर सकतेहैI यदि फसलमें पत्थरचट्टा केअलावा अधिक खरपतवारजमते है तोबुवाई के एकया दो दिनके अन्दर लासो50 . सी. इसीको एलाक्लोर भीकहते हैI 5 लीटरप्रति हेक्टेयर भूमिपर छिडकाव करनाचाहिए जिससे कीखरपतवारों का जमावही होसकेI

रोग प्रबंधन

ज्वार की फसलमें किस प्रकारके रोग लगतेहै और उनकानियंत्रण हमें कैसेकरना चाहिए?
ज्वार में ग्रेगोल्ड या ज्वारका भूरा फफूंदएवम सुतरा क्रमीरोग लगते हैइनकी रोकथाम केलिए संस्तुति प्रजातियोंकी बुवाई करनीचाहिए, बीज शोधनकरना चाहिए फिरभी मेन्कोजेब 2 किलोग्रामप्रति हेक्टेयर कीदर से छिडकावकरना चाहिए इससेरोगों का नियंत्रणकिया जा सकताहैI

कीट प्रबंधन

ज्वार में कौन- कौन से कीटलगने की संभावनाहोती है उनकेनियंत्रण हेतु क्याउपाय करना चाहिए?
ज्वार में कईकीटों का प्रकोपहोता है जैसेकी शूट फ्लाई, तना छेदक, इयरहेड मिज, इयरहेड कैटरपिलर, एवमज्वार का माईटलगते हैI इनकीरोकथाम हेतु बीजशोधन एवम संस्तुतकी गयी प्रजातियोंकी बुवाई करनाचाहिएI इसके साथही क्यूनालफास 25 .सी. 1.50 लीटर प्रतिहेक्टेयर का छिडकावकरना चाहिएI डायमेथोएट30 .सी. एकलीटर या क्लोरोपयारिफोस25 .सी. 1.50 से2 लीटर प्रति हेक्टेयर केहिसाब से छिडकावकरना चाहिएI

फसल कटाई

ज्वार की कटाईऔर मड़ाई किसप्रकार करनी चाहिए?
इसकी कटाई दोप्रकार से कीजाती है पहलीजब सम्पूर्ण पौधाभुट्टा सहित पककरया सूखकर तैयारहो जाये तबतथा दूसरी भूट्टेया बाले पककरतैयार हो जायेतो पौधे सेअलग कर रखनाचाहिए कटाई केबाद धुप मेंअच्छी तरह सुखाकरबैलों से याट्रेक्टर से दाएया कटाई करके दाना अलगकर लेना चाहिएI

पैदावार

ज्वार की फसलसे हमें कितनीपैदावार प्राप्त होने कीसंभावना होती है?

दो प्रकार की प्रजातियाँहोती है, संकुलप्रजातियाँ एवम संकरप्रजातियाँ संकुल प्रजातियों सेपैदावार 30 से 35 कुंतल प्रतिहेक्टेयर प्राप्त होती हैI तथा संकर प्रजातियोंसे 35 से 40 कुंतलप्रति हेक्टेयर पैदावारप्राप्त होती हैI